फिल्म समीक्षा : दबंग 2
मसाले में गाढ़ा, स्वाद में फीका -अजय ब्रह्मात्मज अवधि-129 मिनट **1/2 ढाई स्टार पहली फिल्म की कामयाबी, धमाकेदार प्रचार, पॉपुलर गाने, प्रोमो से जगी जिज्ञासा और सब के ऊपर सलमान खान की मौजूदगी..अगर आप ने 'दबंग' देखी और पसंद की है तो 'दबंग 2' देखने की इच्छा करना लाजिमी है। यह अलग बात है कि इस बार मसाला गाढ़ा,लेकिन बेस्वाद है। पहली बार निर्देशक की जिम्मेदारी संभाल रहे अरबाज खान ने अपने बड़े भाई सलमान खान के परिचित अंदाज को फिर से पेश किया है। फिल्म में नवीनता इतनी है कि चुलबुल पांडे के अपने पिता प्रजापति पांडे और भाई मक्खीचंद से मधुर और आत्मीय रिश्ते हो गए हैं। इसकी वजह से एक्शन के दो दृश्य बढ़ गए हैं और इमोशन जगाने का बहाना मिल गया है। 'दबंग 2' में 'दबंग' की तुलना में एक्शन ज्यादा है। खलनायक बड़ा लगता है,लेकिन है नहीं। उसे चुनौती या मुसीबत के रूप में पेश ही नहीं किया गया है। सारी मेहनत सलमान खान के लिए की गई है। 'दबंग' की कहानी 'दबंग' से कमजोर है। सूरज को मुट्ठी में करने और कसने के जोश के साथ चुलबुल पांडे पर्दे पर आते ...