दरअसल ...तकनीकी पक्षों की तारीफ
-अजय ब्रह्मात्मज पिछले दिनों देश के एक मशहूर कैमरामैन से बातें हो रही थीं। पिछले बीस सालों से वे सक्रिय हैं। उन्होंने हिंदी में बनी कुछ लोकप्रिय और खूबसूरत फिल्मों की फोटोग्राफी की है। कहने लगे कि एक तो हम तकनीशियनों से कोई बातें नहीं करता। लोकप्रिय फिल्मों की तारीफ में भी हमारा उल्लेख नहीं होता। दर्शक ढंग से नहीं जानते कि किसी भी फिल्म में हमारा क्या योगदान होता है? मैंने बड़े से बड़े समीक्षकों की फिल्म समीक्षा में फिल्म के तकनीकी पक्षों को चंद वाक्यों में निबटाते देखा है। दर्शकों को जो बताया जाएगा,वही तो वे जानेंगे। ज्यादा से ज्यादा एक फिल्म समीक्षक जब फिल्म के छायांकन की तारीफ करता है तो यही लिखता हैं कि दृश्य बेहद खूबसूरत लगे। अब अगर फिल्म की पृष्ठभूमि में काश्मीर है तो वह खूबसूरत होगा ही। कैमरामैन ने इसमें क्या योगदान किया? इसे समझने और समझाने की जरूरत है। सिर्फ फोटोग्राफी ही नहीं। हम फिल्मों की समीक्षा या उस पर विमर्श करते समय सिनेमा के तकनीकी पक्षों को आम तौर पर छोड़ देते हैं। हम उनका जिक्र नहीं करते। एडीटिंग,साउंड,कोरियोग्राफी,प्रोडक्शन डि...