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फिल्म समीक्षा : डबल धमाल

डबल मलाल -अजय ब्रह्मात्मज इन्द्र कुमार की पिछली फिल्म धमाल में फिर भी कुछ तर्क और हंसी मजाक था। इस बार उन्होंने सब कुछ किनारे कर दिया है और लतीफों कि कड़ी जोड़ कर डबल धमाल बनायीं है। पिछली फिल्म के किरदारों के साथ दो लड़कियां जोड़ दी हैं। कहने को उनमें से एक बहन और एक बीवी है, लेकिन उनका इस्तेमाल आइटम ग‌र्ल्स की तरह ही हुआ है। मल्लिका सहरावत और कंगना रानौत क निर्देशक ने भरपूर अश्लील इस्तेमाल किया है। फिल्म हंसाने से ज्यादा यह सोचने पर मजबूर करती है की हिंदी सिनेमा क नानसेंस ड्रामा किस हद तक पतन कि गर्त में जा सकता है। अफसोस तो यह भी हुआ की इस फिल्म को मैंने व‌र्ल्ड प्रीमियर के दौरान टोरंटो में देखा। बात फिल्म से अवांतर हो सकती है, लेकिन यह चिंता जगी की आइफा ने किस आधार पर इसे दुनिया भर के मीडिया और मेहमानों के सामने दिखाने के लिए सोचा। इसे देखते हुए डबल मलाल होता रहा। फिल्म में चार नाकारे दोस्त कबीर को बेवकूफ बनाने की कोशिश करने में लगातार खुद ही बेवकूफ बनते रहते हैं। उनकी हर युक्ति असफल हो जाती है। चारों आला दर्जे के मूर्ख हैं। कबीर भी कोई खास होशियार नहीं हैं, लेकिन जाहिर सी बात है क...