दरअसल : ठीक नहीं होती व्यक्ति पूजा
-अजय ब्रह्मात्मज हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र होने का दावा करते हैं। हम यह दोहराने से भी नहीं हिचकते कि अपने देश में अभिव्यक्ति की आजादी है। निस्संदेह दक्षिण एशिया के अन्य देशों के मुकाबले हमारा रिकार्ड बेहतर है। पिछले 68 सालों में बीच-बीच में ऐसे अंतराल भी आए हैं,जब अभिव्यक्ति का गला घोंटा गया है। आपात्काल को हमेशा याद रखना चाहिए। कभी ऐसा भी लगता है कि प्रत्यक्ष तौर पर तो पूरी स्वतंत्रता है,लेकिन परोक्ष रूप से इतना कठोर दबाव है कि सभी एक ही राग अलाप रहे हैं। पिछले सालों में ऐसा भी हुआ कि किसी ने कुछ कहा और एक समुदाश् या समूह नाराज हो गया। बगैर संदर्भ और सच को जाने सभी भौं-भौं करने लगे। लोकतंत्र में भीड़ की ऐसी सामूहिकता अराजक और खतरनाक हो जाती है। पिछले दिनों तन्मय भट्ट के मजाकिया वीडियो के वायरल होने के बाद जिस ढंग की प्रतिक्रियाएं आई हैं,उन्हें सही संदर्भ में देखने की जरूरत है। एआईबी सोशल मीडिया के जरिए समाज के पढे़-लिखे तबके में अपनी पैठ बनाने में कामयाब रहा है। अमेरिकी तर्ज पर यह व्यंग्य के पुट से हंसने-हंसाने की कोशिश कर रहा है। कुछ समय पहले इसकी तीखी आल...