आनंद और रोमांच का संगम है जॉनी गद्दार
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-अजय ब्रह्मात्मज एक हसीना थी में श्रीराम राघवन की दस्तक फिल्म इंडस्ट्री और दर्शकों ने सुन ली थी। वह फिल्म बॉक्स आफिस पर गिर गई थी, लेकिन थ्रिलर का आनंद मिला था। उस आनंद और रोमांच को श्रीराम राघवन ने जॉनी गद्दार में पुख्ता किया है। जॉनी गद्दार एक तरफ विजय आनंद की थ्रिलर फिल्मों की याद दिलाती है तो दूसरी तरफ फिल्मों की नई शैली का परिचय देती है। जॉनी गद्दार पांच व्यक्तियों की कहानी है। वे मिलकर कारोबार करते हैं। उनके गैंग को एक आफर मिला है, जिससे चार दिनों में उनकी किस्मत पलट सकती है। योजना बनती है, लेकिन पांचों में से एक गद्दारी कर जाता है। उस गद्दार की जानकारी हमें हो जाती है, लेकिन बाकी किरदार नावाकिफ रहते हैं। जॉनी गद्दार की यह खूबी दर्शकों को बांधे रहती है। घटनाओं का ऐसा क्रम नहीं बनता कि पहले से अनुमान लगाया जा सके। श्रीराम राघवन ने बार-बार चौंकाया है और हर बार कहानी में ट्विस्ट पैदा किया है। श्रीराम राघवन की पटकथा और फिल्म का संपादन इतना चुस्त है कि संवाद की गति से दृश्य बदलते हैं। शार्प कट और बदलते दृश्यों की निरंतरता हिलने नहीं देती। कई प्रसंग ऐसे हैं, जहां दर्शक अपनी सुध भूल जा...