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फिल्म समीक्षा : राज़ी

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फिल्म समीक्षा  राज़ी  -अजय ब्रह्मात्मज  मानना पड़ेगा इंदिरा गांधी के राजकाज के समय भारतीय खुफिया एजेंसी ज्यादा तेज सक्षम और सक्रिय थीं।  'राजी' फिल्म को देखते हुए इस बात का शिद्दत से एहसास होता है।  सुनिश्चित योजना के तहत सहमत पाकिस्तान में रावलपिंडी के एक सैन्य अधिकारी के परिवार में ब्याही जाती है।  उसके पिता हिदायत इस हिदायत के साथ उसे विदा करते हैं कि वह वहां से खुफिया खबरें भारत भेजा करेगी।  मात्र 19 साल की सहमत इस चुनौती के लिए तैयार होती है।  ससुराल पहुंचने पर वह बिजली की गति से अपने काम को अंजाम देती है। सैयद परिवार में वह अपनी जगह बना लेती है। भरोसा हासिल कर लेती है। पाकिस्तानी सेना के अधिकारी के घर में सहमत का तार बिछाना और आसानी से सन्देश भेजना अविश्वसनीय लगता है। इसे सिनेमाई छूट कहते हैं।  फिर भी...   खुद की रक्षा के लिए वह मासूम सहमत दूसरों की जान भी ले सकती है।  वह पाकिस्तान में अपने मुखबिर साथियों और भारत में खुफिया आका के संपर्क में रहती है।  समय रहते वह जरूरी गुप्त संदेश भारत भेजने में सफल हो ज...

फिल्‍म समीक्षा : कमांडो

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-अजय ब्रह्मात्‍मज  एक्शन फिल्म के तौर पर प्रचारित 'कमांडो' का एक्शन रोमांचित करता है। विद्युत जामवाल में बिजली की गति और चकमा है। एक्शन दृश्यों में उनकी स्फूर्ति देखते ही बनती है। एक्शन पसंद करने वाले दर्शकों को यह फिल्म अवश्य देखनी चाहिए। भारतीय सेना के एक कमांडो के खो जाने से कहानी शुरू होती है। करणबीर डोगारा (विद्युत जामवाल) का हेलीकॉप्टर नियमित अभ्यास के दौरान क्रैश कर जाता है। करण को चीनी सेना के जवान गिरफ्तार कर लेते हैं। वे उसे जासूस समझते हैं। चीनी कैद में निश्चित मौत से बचकर करण भागता है और भारतीय सीमा में प्रवेश कर जाता है। वह पंजाब के एक गांव पहुंचता है। वहां उसकी भिडंत अनायास कुछ गुंडों से हो जाती है। वह एक लड़की को उनसे बचाता है। बाद में वह लड़की उसके पीछे पड़ जाती ह कि अब आगे भी बचाओ। इस कहानी के साथ हम देख चुके होते हैं कि इलाके का बदमाश एके-74 (जयदीप अहलावत) गांव की लड़की सिमरन (पूजा चोपड़ा) से शादी करना चाहता है। सिमरन उसके चंगुल से बचने के लिए भागी है। इसके आगे की कहानी एके-74 और करण के संघर्ष की हो जाती है। करण किसी भी तरह सिमरन को एके-74 क...