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जो पढ़ेगा वही बढ़ेगा - शाह रुख खान

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-अजय ब्रह्मात्‍मज शाह रुख खान का ज्‍यादातर समय अभी हैदराबाद में बीतता है। हैदराबाद का रामोजी राव स्‍टूडियो ही इन दिनों उनका ठिकाना बन गया है। वे वहीं से कहीं जाते हैं और फिर लौट कर वहीं आते हैं। यहां तक कि मुंबई में बांद्रा स्थित उनका बंगला मन्‍नत भी अस्‍थायी निवास हो गया है। छोटे बेटे अब्राम से मिलने का मन किया तो मुंबई आ गए या उसे हैदराबाद बुला लिया। कभी फुर्सत रही तो दोपहर के लंच के लिए आए और फिर हैदराबाद लौट गए। दरअसल,रोहित शेट्टी के निर्देशन में बन रही ‘ दिलवाले ’ का सेट वहां लगा हुआ है। उन्‍होंने हैदारबाद के रामोजी राव स्‍टूडियो में गोवा बसा रखा है। रोहित की फिल्‍मों में गोवा रहता ही है। यहां ‘ दिलवाले ’ के नायक काली (शाह रुख खान) का गैरेज बनाया गया है,जहां डिजायनर कार से लेकर मोटर मरम्‍मत के सभी काम होते हैं। उनका छोटा भाई भी उनके साथ रहता है। फिल्‍म के एक हिस्‍से की घटनाएं गोवा में घटती हैं।     बहरहाल,अपने जन्‍मदिन(2 नवंबर) से ठीक नौ दिन पहले उन्‍होंने सेट पर मिलने के लिए बुलाया। इस बार ‘ दिलवाले ’ में वे आक्रामक प्रचार से भिन्‍न तरीका अपना रहे हैं...

अब तक गुलजार

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        गुलजार साहब से कई बार मिलना हुआ। उनके कई करीबी अच्‍छे दोस्‍त हैं। गुलजार से आज भी अपरिचय बना हुआ है। अक्‍सरहां कोई परिचित उनसे मिलवाता है और वे तपाक से मिलते हैं। हर बार लगता है कि पहला परिचय हो रहा है। इस लिहाज से मैं वास्‍तव में गुलजार से अपरिचित हूं। यह उम्‍मीद खत्‍म नहीं हुई है कि उनसे कभी तो परिचय होगा।           आज उनका जन्‍मदिन है। गुलजार के प्रशंसकों के लिए उनसे संबंधित सारी एंट्री यहां पेश कर रहा हूं। चवन्‍नी के पाठक अपनी मर्जी से चुनें और पढ़ें। टिप्‍पणी करेंगे तो अच्‍छा लगेगा।         अतृप्‍त,तरल और चांद भावनाओं के गीतकार गुलजार को नमन। वे यों ही शब्‍दों की कारीगरी करते रहें और हमारी सुषुप्‍त इच्‍छाओं का कुरेदते और हवा देते रहें।  हमें तो कहीं कोई सांस्कृतिक आक्रमण नहीं दिखता - गुलजार  एक शायर चुपके चुपके बुनता है ख्वाब - गुलजार निराश करती हैं गुलजार से अपनी बातचीत में नसरीन मुन्‍नी कबीर सोच और सवेदना की रंगपोटली मेरा कुछ सामान ...