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यूट्यूब हिंदी टाकीज पर जंजीर....

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यूट्यूब हिंदी टाकीज पर जंजीर....

फिल्‍म समीक्षा : जंजीर

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-अजय ब्रह्मात्‍मज  हालांकि अपूर्वा लाखिया की 'जंजीर' अमिताभ बच्चन की 'जंजीर' की आधिकारिक रीमेक है, लेकिन इसे देखते समय पुरानी फिल्म का स्मरण न करें तो बेहतर है। अमिताभ बच्चन की प्रकाश मेहरा निर्देशित 'जंजीर' का ऐतिहासिक महत्व है। उस फिल्म से अमिताभ बच्चन की पहचान बनी थी। उन्हें एंग्री यंग मैन की इमेज मिली थी। इस ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में अपूर्वा लाखिया की 'जंजीर' एक साधारण फिल्म लगती है। राम चरण के लिए हिंदी फिल्मों की यह शुरुआत है। कहानी और किरदारों के बीज वहीं से लिए गए हैं, लेकिन उन्हें स्टूडियो में विशेष निगरानी के साथ सींचा गया है, इसलिए पुरानी फिल्म की नैसर्गिकता चली गई है। वैसे भी अब शहरी जीवन में प्राकृतिक फूलों और पौधों की जगह कृत्रिम फूलों और पौधों ने ले ली है। उसी प्रकार की कृत्रिमता का एहसास 'जंजीर' देख कर हो सकता है। हां, अगर पुराने अनुभव और ज्ञान से वंचित या परिचित दर्शकों के लिए 'जंजीर' आज की फिल्म है। मल्टीप्लेक्स के दर्शकों को मजा भी आएगा। फिल्म में आज के कंसर्न के साथ आधुनिक किरदार हैं। सब कुछ बदल चुका...

हा हा ...रीमेक राजकुमारी हूं मैं-प्रियंका चोपड़ा

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-अजय ब्रह्मात्‍मज  - बताएं ‘जंजीर’ के बारे में? 0 इस फिल्म को लेकर मैं बहुत उत्साहित हूं। मूल ‘जंजीर’ को इस फिल्म के जरिए हम ट्रिब्यूट दे रहे हैं। मूल जैसी फिल्म तो नहीं बनायी जा सकती। अपूर्वा लाखिया ने इसकी जुर्रत भी नहीं की है। यह उनकी और मेरी भी फेवरिट फिल्म है। अगर इस फिल्म में कोई गलती दिखे तो मैं पहले से ही माफी मांगती हूं। - मूल फिल्म की जया भादुड़ी का किरदार आप निभा रही हैं। क्या कुछ तब्दीली की गई है? 0 मेरा किरदार पूरी तरह से बदल गया है। इस फिल्म में चाकू-छुरी वाली नहीं हूं। मैं न्यूयॉर्क से आई हूं। हिंदी फिल्मों की फैन हूं। भारत एक शादी में आई हूं। बहुत खुश हूं मुंबई आकर। आने के साथ ही एक हत्या की चश्मदीद गवाह बनती हूं। वहरीं से मेरी जिंदगी बदल जाती है। मेरा नाम माला ही है। - फिल्म के हीरो विजय से क्या रिश्ता रहेगा ? 0 हत्या की चश्मदीद गवाह होने की वजह से विजय खन्ना से संपर्क होता है। वे इस हत्या की तहकीकात कर रहे हैं। हम जुडते हैं और कहानी आगे बढती है। पूरी कहानी तो नहीं बता सकती। - रामचरण तेलुगू के पापुलर स्टार हैं। हिंदी में यह उनकी पहली फिल्म होगी। कैसा अनुभव रहा?...

रीमेक की जंजीर .....

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चवन्‍नी के पाठकों के लिण्‍ सौम्‍य वचन से साभार। उनके अन्‍य लेख वहां जाकर पढ़ सकते हैं। -सौम्या अपराजिता  कहते हैं बीता वक़्त लौटकर नहीं आता,पर हिंदी फिल्मों के सन्दर्भ में ऐसा नहीं है। हिंदी फिल्में लौटकर आती रहीं है। रीमेक के रूप में पुरानी हिंदी फिल्मों की वापसी होती रही है। हालांकि नए कलेवर में पेश की जाने वाली पुरानी फिल्मों के नए संस्करण पहले-सा जादू नहीं चला पाते हैं। नए कलाकारों और नए अंदाज में पेश की जाने वाली रीमेक फ़िल्में दर्शकों के दिलों में बसी पुरानी (मौलिक) फिल्मों की यादों को भूला नहीं पाती हैं। उम्मीदों और अपेक्षाओं पर खरा उतरने के दबाव के बावजूद रीमेक की जंजीर ने हिंदी फिल्मों को जकड रखा है। पुरानी लोकप्रिय हिंदी फिल्मों को नयी तकनीक और आधुनिक दृष्टिकोण की चाशनी में डूबोकर पेश करने का सिलसिला जारी है। अमिताभ का रीमेक कनेक्शन जंजीर' की रीमेक की पहली झलक पिछले दिनों प्रस्तुत की गयी। अमिताभ बच्चन के फ़िल्मी सफ़र में मील का पत्थर साबित हुई थी 'जंजीर'। 'जंजीर' ने सदी के महानायक की एंग्री यंग मैन की छवि की नींव रखी थी। ऐसे म...