दरअसल : किसे परवाह है बच्चों की
-अजय ब्रह्मात्मज वैसे भी वर्तमान सरकार को पिछली खास कर कांग्रेसी सरकारों की आरंभ की गई योजनाएं अधिक पसंद नहीं हैं। उन योजनाओं को बदला जा रहा है। जिन्हें बदल नहीं सकते,उन्हें नया नाम दिया जा रहा है। लंबे समय तक 14 नवंबर बाल दिवस के रूप में पूरे देश में मनाया जाता रहा है। 14 नवंबर देश के पहले प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू का जन्मदिन है। चूंकि बचचों से उन्हें अथाह प्रेम था,इसलिए उनके जन्मदिन को बाल दिवस का नाम दिया गया। 40 की उम्र पार कर चुके व्यक्तियों को याद होगा कि स्कूलों में बाल दिवस के दिन रंगारंग कार्यक्रम होते थे। बच्चों के प्रोत्साहन और विकास के लिए खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे। कह सकते हैं कि तब बच्चों के लिए मनोरंजन के विकल्प कम थे,इसलिए ऐसे कार्यक्रमों में बच्चों और उनके अभिभावकों की अच्छी भागीदासरी होती थी। इस साल 14 नवंबर आया और गया। देश के अधिकांश नागरिकों का समय बाल दिवस के पहले कतारों में बीत गया। वे अपनी गाढ़ी कमाई के पुराने पड़ गए नोटों को बदलवाने में लगे थे। उन्हें अपने बच्चों की सुधि नहीं रही। कमोबेसा सिनेमा में भी यही ...