दरअसल:फिसलन भी है कामयाबी
६०० वीं पोस्ट...आप सभी को धन्यवाद। -अजय ब्रह्मात्मज स्कूल के दिनों में कहीं पढ़ा था, मैं नियम पर चलता हूं, इसलिए रोज नियम बदलता हूं। जिस दिन जो करने का मन हो, वैसा ही नियम बना लो। कहने के लिए हो गया कि नियमनिष्ठ हैं और मन मर्जी भी पूरी हो गई। अपने फिल्म सितारों के लिए कुछ वैसी ही बात कही जा सकती है। कभी कोई फिल्म फ्लॉप होती है, तो सितारे कहते हैं, फिल्म नहीं चल पाई, लेकिन मेरे काम की सराहना हुई। फिर फिल्म बुरी होने के बावजूद हिट हो जाए, तो सितारों के चेहरे पर मुस्कराहट आ जाती है और उनका बयान होता है, समीक्षक कुछ भी लिखें, दर्शकों ने फिल्म पसंद की है न? हिट और फ्लॉप दोनों ही स्थितियों में खुद को संतुष्ट करते हुए दर्शकों को मुगालते में रखने की यह कोशिश स्टारडम का हिस्सा हो गया है। सितारे अपने इस अंतर्विरोध को समझते हैं, लेकिन यह स्वीकार नहीं कर पाते कि उनसे भूल हुई है। अक्षय कुमार आज कल ऐसे ही अंतद्र्वद्व और संशय से गुजर रहे हैं। चांदनी चौक टू चाइना और 8-10 तस्वीर के फ्लॉप होने के बाद उनकी कमबख्त इश्क हिट हुई है। अगर तीनों फिल्मों की तुलना करें, तो किसी को भी श्रेष्ठ फिल्म की श्रेणी में ...