सिनेमालोक : कलाकारों की हिंदी दोषपूर्ण
सिनेमालोक कलाकारों की हिंदी दोषपूर्ण -अजय ब्रह्मात्मज यह समस्या इधर बढ़ी है.हमारे युवा फिल्म कलाकार भाषा खास कर अपनी फिल्मों की भाषा - हिंदी पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. लगता है घडी की सुई घूम कर फिर से चौथे दशक में पहुँच गयी है, हिंदी फिल्मों के टाकी होने के साथ फिल्मों में आये कलाकार ढंग से हिंदी नहीं बोल पाते थे.पारसी और कैथोलिक समुदाय से आये इन कलाकारों के परिवेश और परिवार की भाषा पारसी और अंग्रेजी रहती थी,इसलिए उन्हें हिंदी बोलने में दिक्कत होती थी.तब उनके लिए भाषा के शिक्षक रखे जाते थे,उनका उच्चारण ठीक किया जाता था.सेट पर शूटिंग के समय और तैयारी के लिए हिंदी-उर्दू के प्रशिक्षक रखे जाते थे.पूरा ख्याल रखा जाता था.फिर भी चूक हो जाती थी तो फिल्म समीक्षक उनकी हिंदी पर अलग से टिपण्णी करते थे.80 सालों के बाद हम फिर से वैसे ही हालात में पहुंच रहे हैं. ताज़ा उदहारण है ‘स्टूडेंट ऑफ़ द ईयर 2’. इस फिल्म में टाइगर श्रॉफ मुख्य भूमिका में हैं.उनके साथ तारा सुतारिया और अनन्या पांडे दो नयी हीरोइनें हैं. यह दोनों की लौन्चिंग फिल्म है.इस फिल्म को देखते हुए गहरा एहसास हुआ कि उनकी बोली...