फिल्म समीक्षा : कट्टी बट्टी
नए इमोशन,नए रिलेशन -अजय ब्रह्मात्मज निखिल आडवाणी की फिल्में देखते हुए उनकी दुविधा हमेशा जाहिर होती है। ‘ कट्टी बट्टी ’ अपवाद नहीं है। इस फिल्म की खूबी हिंदी फिल्मों के प्रेमियों को नए अंदाज और माहौल में पेश करना है। पारंपरिक प्रेमकहानी की आदत में फंसे दर्शकों को यह फिल्म अजीब लग सकती है। फिल्म किसी लकीर पर नहीं चलती है। माधव और पायल की इस प्रेमकहानी में हिंदी फिल्मों के प्रचलित तत्व भी हैं। खुद निखिल की पुरानी फिल्मों के दृश्यों की झलक भी मिल सकती है। फिर भी ‘ कट्टी बट्टी ’ आज के प्रेमियों की कहानी है। आप कान लगाएं और आंखें खोलें तो आसपास में माधव भी मिलेंगे और पायल भी मिलेंगी। माधव और पायल का प्रेम होता है। माधव शादी करने को आतुर है,लेकिन पायल शादी के कमिटमेंट से बचना चाहती है। उसे माधव अच्छा लगता है। दोनों लिवइन रिलेशन में रहने लगते हैं। पांच सालों के साहचर्य और सहवास के बाद एक दिन पायल गायब हो जाती है। वह दिल्ली लौट जाती है। फिल्म की कहानी यहीं से शुरू होती है। बदहवास माधव किसी प्रकार पायल तक पहुंचना चाहता है। उ...