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फिल्‍म समीक्षा : वीरप्‍पन

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लौटे हैं रामू                -अजय ब्रह्मात्‍मज एक अंतराल के बाद रामगोपाल वर्मा हिंदी फिल्‍मों में लौटे हैं। उन्‍होंने अपनी ही कन्‍नड़ फिल्‍म ‘ किंलिंग वीरप्‍पन ’ को थोड़े फेरबदल के साथ हिंदी में प्रस्‍तुत किया है। रामगोपाल वर्मा की फिल्‍मोग्राफी पर गौर करें तो अपराधियों और अपराध जगत पर उन्‍होंने अनेक फिल्‍में निर्देशित की हैं। अंडरवर्ल्‍ड और क्रिमिनल किरदारों पर फिल्‍में बनाते समय जब रामगोपाल वर्मा अपराधियों के मानस को टटोलते हैं तो अच्‍छी और रोचक कहानी कह जाते हैं। और जब वे अपराधियों के कुक्त्‍यों और क्रिया-कलापों में रमते हैं तो उनकी फिल्‍में साधारण रह जाती हैं। ‘ वीरप्‍पन ’ इन दोनों के बीच अटकी है। ‘ वीरप्‍पन ’ कर्नाटक और तमिलनाडु के सीमावर्ती जंगलों में उत्‍पात मचा रखा था। हत्‍या,लूट,अपहरण,हाथीदांत और चंदन की तस्‍करी आदि से उसने आतंक फैला रखा था। कर्नाटक और तमिलनाडु के एकजुट अभियान के पहले वह चकमा देकर दूसरे राज्‍य में प्रवेश कर जाता था। दोनों राज्‍यों के संयुक्‍त अभियान के बाद ही उसकी गतिविधि...

फिल्‍म समीक्षा : भूतनाथ रिटर्न्‍स

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-अजय ब्रह्मात्‍मज   पिछली बार भी 'भूतनाथ' में विवेक शर्मा ने हॉरर से अधिक संवेदना पर जोर दिया था। इस बार 'भूतनाथ रिट‌र्न्स' में नितेश तिवारी एक कदम और आगे बढ़ते हैं। वे भूतनाथ को राजनीतिक चेतना से लैस कर देते हैं। 'भूतनाथ रिट‌र्न्स' सिक्वल नहीं है। पिछली फिल्म और इस फिल्म में एक ही समानता है कि भूतनाथ की भूमिका अमिताभ बच्चन ही निभा रहे हैं। पिछली बार भूतनाथ लौट कर भूतव‌र्ल्ड चले गए थे। भूतव‌र्ल्ड में भूतनाथ की हंसाई हो गई है, क्योंकि धरती पर वे किसी को डरा नहीं सके थे। उन्हें एक मौका और दिया जा रहा है कि वे धरती पर भूतों का भय पैदा कर लौटें। इस बार भी एक बच्चा उन्हें पहचान लेता है। यहीं से भूतनाथ की नई यात्रा आरंभ होती है। इस बार मिला बच्चा अखरोट मुंबई के धारावी इलाके में अपनी अकेली मां के साथ रहता है। उसके पास घूमते हुए भूतनाथ पृथ्वी पर मौजूद असमानता और असुविधा की सच्चाइयों से अवगत होते हैं। गढ्डे, कचरा, पानी और सड़क की समस्याओं से भूतनाथ का राजनीतिक संस्कार होता है और बात चुनाव लड़ने तक आ जाती है। 'भूतनाथ रिट‌र्न्स' में भूतनाथ सीटिं...