लोग कहते हैं कि मैं बिक गया हूं: विक्रमादित्य मोटवाने
उड़ान से गंभीर फिल्मकार के तौर पर स्थापित विक्रमादित्य मोटवाने अब रोमांस की चाशनी में घुली लूटेरा लेकर आ रहे हैं. रघुवेन्द्र सिंह उनके रोमांटिक पहलू को उजागर कर रहे हैं आम तौर पर फिल्मकार अपनी फिल्म के पोस्ट प्रोडक्शन के दौरान खुद को दुनिया से काट लेता है. उसका दिन-रात स्टूडियो के स्याह अंधेरे में अपनी फिल्म को सही आकार देने में गुजरता है. लेकिन विक्रमादित्य मोटवाने अपवाद हैं. आजकल आराम नगर 2 का बंगला नंबर 121, जो फैंटम का ऑफिस है, उनका दूसरा घर बना हुआ है. यहां वे दिन-रात लुटेरा को आखिरी शेप देने में जुटे हैं, मगर ताज्जुब की बात यह है कि इस एकांतवास को तोड़ते हुए वह हर वीकेंड सिनेमाहॉल में दिख जाते हैं. जाहिर है इससे उनका ध्यान टूटता होगा. इस मंतव्य का खंडन करते हुए विक्रम कहते हैं, ''पोस्ट प्रोडक्शन के दौरान ब्रेक लेना जरूरी होता है. कई बार एडिट के दौरान आप कहीं अटक जाते हैं. उस समय आपको दूसरे की पिक्चर जाकर देखनी चाहिए. उससे बहुत-सी चीजें आपके दिमाग में क्लीयर हो जाती हैं. क्रिएटिव ड्रिंकिंग जरूरी होती है. मेरा मानना है कि फिल्म की राइटिंग और एडिटिं...