दरअसल : इस बार फिल्म बाजार
-अजय ब्रह्मात्मज सन् 2007 में एनएफडीसी ने गवा में आयेजित इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के दौरान फिल्म बाजार का आयोजन आरंभ किया था। आरंभिक आशंका के बाद इसने अभियान का रूप ले लिया है। दक्षिण एशिया में इस स्तर का कोई फिल्म बाजार आयेजित नहीं होता। 2015 में 38 देशों के 1152 प्रतिनिधियों ने इसमें हिस्सा लिया,जिनमें 242 विदेशों से आए थे। अभी कई देशों से डिस्ट्रीब्यूटर,प्रोड्यूसर और फेस्टिवल क्यूरेटर फिल्म बाजार में आते हैं। यहां युवा फिल्मकारों को दिशा मिलती है। उनके लिए संभावनाएं बढ़ती हैं। फिल्म बाजार के प्रयास से ही पिछले कुछ सालों की चर्चित और पुरस्कृत फिल्में बन पाईं। हाल ही में मामी और टोक्यो में पुरस्कृत अलंकृता श्रीवास्तव की फिल्म ‘ लिपस्टिक अंडर माय बुर्का ’ ने यहीं से प्रयाण किया था। पिछले सालों में ‘ लंचबॉक्स ’ , ’ चौथी कूट ’ , ’ कोर्ट ’ और ‘ तिली ’ जैसी फिल्मों को यहीं से उड़ान मिली। फिल्म बाजार भारत के युवा फिल्मकारों के लिए क्रिएटिव संधिस्थल बन गया है। हर साल सैकड़ों युवा उद्यमी फिल्मकार यहां पहुंचते हैं और फिल्मों के ट्रेंड और बाजार से वाकिफ ह...