हिंदी फिल्मों की हदबंदी
-अजय ब्रह्मात्मज पिछले सप्ताह आई ब्रेक के बाद की आलिया कन्फ्यूज्ड है। वह प्रेम के एहसास और शादी की योजना से दूर रहना चाहती है। उसे करियर बनाना है। उसे अपनी संतुष्टि के लिए कुछ करना है। इसी कोशिश में वह प्रेमी अभय से ब्रेक लेती है और देश छोड़ कर चली जाती है। उसे लगता है कि अभय का प्रेम उसके भविष्य की राह का रोड़ा है। डेढ़ घंटे के ड्रामे के बाद जो होता है, वह हर हिंदी फिल्म में होता है। अंत में वह देश लौटती है और अभय के साथ शादी के मंडप में बैठ जाती है। इधर की कुछ फिल्मों में ऐसी हीरोइनें बार-बार दिख रही हैं। इम्तियाज अली की फिल्म लव आज कल की भी यही थीम थी। वहीं ये इसकी शुरुआत मान सकते हैं। आई हेट लव स्टोरीज और आयशा भी हमने देखीं। कुछ और फिल्में होंगी। इन सभी फिल्मों के कॉमन थीम में कन्फ्यूज्ड लड़कियां हैं। सभी आज की लड़कियां हैं। आजाद सोच की आधुनिक लड़कियां, जो अपनी एक स्वतंत्र पहचान चाहती हैं। इस पहचान के लिए वे संघर्ष करती हैं, लेकिन हिंदी फिल्मों की हदबंदी उन्हें आखिरकार प्रेमी और हीरो के पास ले आती हैं। हिंदी फिल्मों में ढेर सारी चीजें बदल कर भी नहीं बदलतीं। प्रेम और शादी से पूरी फ...