आरक्षण की दुधारी तलवार-प्रकाश झा
यह लेख आज दैनिक जागरण के संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित हुआ है।आप इस पर प्रतिक्रया करें और अपनी राय दें।फिल्म देखने के पहले या बाद में...जैसी आप की मर्जी.... एक अरब से अधिक आबादी वाले देश भारत में विश्व के किसी भी देश से अधिक नौजवान हैं। लगता तो ऐसा है जैसे हम देश के भविष्य के बारे में नहीं सोच रहे हैं। युवा ही देश का भविष्य हैं। अगर हम युवाओं को शिक्षित नहीं करेंगे तो हम देश का भविष्य बर्बाद कर देंगे। इसके अलावा, नौकरियों को लेकर अंधी दौड़ जारी है। उत्साहवर्धक बात यह है कि अब रोजगार पाने के लिए प्रोफेशनल कोर्सो पर ध्यान दिया जा रहा है, किंतु इसके बावजूद स्याह पक्ष यह भी है कि हम बड़े इतिहासकार और वैज्ञानिक नहीं पैदा कर पा रहे हैं। अकादमिक शोध और वैज्ञानिक उन्नयन धीमे-धीमे पिछड़ रहा है। ऑक्सफोर्ड में किसी शोधार्थी से पूछें कि क्या वह भारत में वैसी जिंदगी जी सकता है जैसी ऑक्सफोर्ड में जी रहा है, तो उसका उत्तर होगा-नहीं। सीधी सी बात यह है कि हमारे देश में शोध और शिक्षण के लिए उचित स्थान ही नहीं है। आरक्षण के माध्यम से समाज के पिछड़े और वंचित वर्गो...