चिंतनीय है आयटम गीतों की लोकप्रियता
-अजय ब्रह्मात्मज पिछले दिनो फिल्मों में गीत लिखने के लिए संघर्षरत एक गीतकार मिले हैं। हिंदी प्रदेश के मूल निवासी इस गीतकार ने दिल्ली के एक सम्मानित शिक्षण संस्थान से मास मीडिया का कोर्स किया है। संस्थान से निकलने के बाद कुछ महीनों तक उन्होंने दिल्ली में संघर्ष किया। फिर एक दिन मुंबई की ट्रेन पकड़ ली। अभी अपने लैपटॉप पर गीत लेकर घूमते हैं। उनका इरादा भविष्य में फिल्म निर्देशन का है। उसके पहले बतौर गीतकार फिल्मों से जुडक़र वे अनुभव बटोरना चाहते हैं। उनसे अपमान और संघर्ष की कुछ घटनाएं सुनने के बाद मेरी जिज्ञासा उनके लेखन में हुई। कई बार देखा है कि मुंबई संघर्ष करने आई प्रतिभाओं में दम-खम रहता है। इ'छा हुई कि उनके कुछ गीत सुन लूं। फरमाईश करने पर उन्होंने दो-तीन आयटम गीत सुनाए। आयटम गीत लिखने की वजह पूछने पर उन्होंने बेहिचक कहा, ‘इन दिनों छोटे-बड़े सभी फिल्मकारों को आयटम गीतों की जरूरत पड़ती है। रेगुलर गीत तो सभी लिख लेते हैं। आयटम गीत एक अलग विधा है। इसमें शब्दों के माध्यम से रस और उत्तेजना पैदा करना होता है। बाकी काम म्यूजिक और एक्ट्रेस करती ह...