दरअसल : आलिया भट्ट की इमेज बिल्डिंग
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-अजय ब्रह्मात्मज हम एक ऐसे समाज में रह रहे हैं,जहां साधारण को विशेष और विशेष को अतिसाधारण मानने और समझने का दौर चल रहा है। महेश भट्ट की सुपुत्री आलिया भट्ट फिल्मों में कैमरे के आगे आ चुकी हैं। अभी तक आई उनकी हर फिल्म सफल रही है। उन्हें सराहना भी मिली है। नई पीढ़ी की अभिनेत्रियों में अपनी अदायगी से ज्यादा ताजगी की वजह से उन्हें पसंद किया जा रहा है। बतौर अभिनेत्री अभी उन्हें मुश्किल भूमिकाएं नहीं मिली हैं। हर नई अभिनेत्री आरंभ की कुछ फिल्मों में अपने कच्चेपन के बावजूद स्वाभाविक लगती हैं। उसकी अकेली वजह यही है कि उन भूमिकाओं में हम उन्हें पहली बार देखते समय कुछ नयापन महसूस करते हैं। सामान्य लडक़े-लडक़ी को भी सजा-संवार कर पर्दे पर पेश कर दें तो वह अभिभूत करेगा या करेगी। यकीन न हो तो आप अपनी जवानी की तस्वीरे देख लें। उनमें आप किसी अभिनेता-अभिनेत्री से कम नहीं लगते। नवोदित प्रतिभाओं की परीक्षा चौथी-पांचवीं फिल्म से आरंभ होती है। तब उन्हें किरदार के अनुरूप ढलना होता है। उस समय तक अपने स्वाभाविक अंदाज में वे किरदार में दिखना बंद कर देते हैं। उन्हें सचमुच अभिनय करना पड़ता है...