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इस साल मैं काफी व्यस्त हूं-शाहिद कपूर

-अजय ब्रह्मात्मज फिल्म जब वी मेट की कामयाबी के बाद शाहिद कपूर चर्चा में आ गए। इन दिनों वे न केवल विद्या बालन और सानिया मिर्जा, बल्कि फिल्म किस्मत कनेक्शन को लेकर भी चर्चा में हैं। प्रस्तुत हैं शाहिद कपूर से हुई बातचीत के अंश.. फिल्म किस्मत कनेक्शन से क्या उम्मीदें हैं? फिलहाल मैं खुश हूं। मैंने फिल्म देखी है और मैं यह दावे के साथ कह सकता हूं कि हम लोगों ने जिस रूप में इस फिल्म के बारे में सोचा था, फिल्म बिल्कुल वैसी ही बनी है। इस खुशी के साथ दर्शकों के रिऐक्शन के बारे में जानने की उत्सुकता है। अंतिम फैसला तो वही करेंगे! यह फिल्म रोमांटिक कॉमेडी है। उम्मीद है, लोग फिल्म को पसंद करेंगे। अजीज मिर्जा के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा? शुरू में थोड़ी उलझन थी। हालांकि मुझे यही लगता था कि मैं 27 साल का हूं और अजीज अंकल साठ से ज्यादा के हैं। हमारा कनेक्शन मालूम नहीं कैसा होगा! लेकिन मैं चकित हुआ कि वे इंडस्ट्री के युवा निर्देशकों से ज्यादा रिलैक्स और यंग हैं। दरअसल, अजीज अंकल ऐक्टर के प्रिय डायरेक्टर हैं। क्या खासियत है इस फिल्म में? अजीज अंकल की फिल्मों की यही खूबी है कि वे सच्चाई के आसपास हो...

फ़िल्म समीक्षा:किस्मत कनेक्शन

लव स्टोरी में सोशल कंसर्न -अजय ब्रह्मात्मज हम आप खुश हो सकते हैं कि जाने तू या जाने ना जैसी मनोरंजक फिल्म की रिलीज के एक पखवारे के भीतर ही एक और मनोरंजक फिल्म किस्मत कनेक्शन आई है। हालांकि यह भी लव स्टोरी है, लेकिन इसमें अजीज मिर्जा का टच है। किस्मत कनेक्शन टोरंटो के बैकड्राप में बनी भारतीय इमोशन की प्रेम कहानी है, जिसमें कुछ घटनाएं और स्थितियां नई हैं। अजीज मिर्जा की खासियत है कि उनकी फिल्में हकीकत के करीब लगती हैं। उनकी फिल्मों में यथार्थ का पुट रहता है। समानता, बराबरी, मानव अधिकार और वंचितों के अधिकार की बातें रहती हैं। लेकिन, यह सब कहानी का मुख्य कंसर्न नहीं होता। इसी फिल्म को लें। प्रतिभाशाली छात्र राज मल्होत्रा पढ़ाई पूरी करने के बाद बेरोजगार है। भविष्य बताने वाली हसीना बानो जान उसे समझाती है कि वह अपना लकी चार्म खोजे और उसे अपने साथ रखे तो उसके सारे काम हो जाएंगे। राज मल्होत्रा की प्रिया से मीठी भिड़ंत होती रहती है। चंद भिड़ंतों के बाद राज को एहसास होता है कि प्रिया उसकी लकी चार्म है। दोनों में दोस्ती होती है और फिर दोस्ती प्यार में बदल जाती है..। जरा ठहरें, इतना सिंपल अंत नहीं ...