मैं देसवा के साथ क्यों नहीं हूं...-अमितेश कुमार
अमितेश कुमार भोजपुरी फिल्मों के सुधी और सचेत दर्शक हैं। उनकी चिंताओं का कुछ लोगों ने मखौल उड़ाया और उन्हें हतोत्साहित किया। मैंने उनसे आग्रह किया था कि वे अपना पक्ष रखें। यह भोजपुरी समाज,फिल्म और प्रकारांतर से 'देसवा' के हित में है। इसी उद्देश्य से इसे मैं उनके ब्लॉग से लेकर यहां प्रकाशित कर रहा हूं...आपकी प्रतिक्रियाओं का स्वागत है।अमितेश के ब्लॉग पर लेख का पता... http://pratipakshi.blogspot.com/2011/05/blog-post_25.html यह देसवा की समीक्षा नहीं है, और वरिष्ठ फ़िल्म समीक्षक अजय ब्रह्मात्मज की प्रेरणा से लिखी गयी है, इसीलिये उन्हीं को समर्पित. इसमें आवेग और भावना की ध्वनि मिले तो इसके लिये क्षमाप्रार्थी हूं. ये मेरे लिये साल के कुछ उन दिनों में था जिसमें मैं अपने नजदीक होना चाहता हूं, ये एक अजीब प्रवृति है मेरे लिये. उस दिन मेरा जन्मदिन था…गर्मी से लोगो को निज़ात देने के लिये आंधी और बारिश ने मौसम को खुशनुमा बना दिया था. दिन पूरी तरह अकेले बिता देने के बाद शाम को हम चार लोग देसवा देखने निकले. हमारे जरूरी कामों की लिस्ट में ये काम कई दिनों से शामिल था. देसवा के बारे मे...