फिल्म समीक्षा : बेशरम
-अजय ब्रह्मात्मज संकेत तो ट्रेलर और प्रोमोशन से ही मिल गए थे। रणबीर कपूर की 'बेशरम' उत्सुकता नहीं जगा पाई थी। रिलीज के बाद वह पर्दे पर दिख गया। अभिनव सिंह कश्यप ने एक छोटी सी कहानी को 2 घंटे 18 मिनट में फैला दिया है। नाच-गाने, एक्शन, इमोशन, लव और फाइट सीन से उसकी पैडिंग की है। पॉपुलर स्टार,सफल डायरेक्टर,ऋषि-नीतू की जोड़ी अच्छा भरम क्रिएट करती है। फिल्म देखते समय ही मनोरंजन का यह भरम टूटता जाता है। आखिरकार फिल्म निराश करती है। अनाथालय में पला बबली (रणबीर कपूर) बड़ा होने पर टी 2 के साथ कार की चोरी करने लगता है। वह कार चुराने में माहिर है। उच्छृंखल मिजाज के बबली का दिल तारा शर्मा (पल्लवी शारदा) पर आ जाता है। पहली ही मुलाकात से नायक की बदतमीजी आरंभ हो जाती है। वैसे भी हिंदी फिल्मों में नायक-नायिका के बीच प्रेम की शुरुआत छेड़खानी से ही होती है। एक चोरी में जब बबली को एहसास होता है कि उसने तारा की ही कार चुरा ली है तो वह पश्चाताप की मुद्रा में चोरी की गई कार की फिर से चोरी करता है। ऐसे समय में सामाजिकता और नैतिकता के बारे में लेखक जी समझ से भी हम वाकिफ होते हैं। ...