रोज़ाना : अनेक व्यक्तियों का पुंज होता है एक किरदार
रोज़ाना अनेक व्यक्तियों का पुंज होता है एक किरदार -अजय ब्रह्मात्मज फिल्म रिलीज होने के पहले या बाद में हम लेखकों से बातें नहीं करते। सभी मानते हें कि किसी जमाने में सलीम-जावेद अत्यंत लोकप्रिय और मंहगे लेखक थे। उस जमाने में भी फिल्मों की रिलीज के समय उनके इंटरव्यू नहीं दपते थे। उन्होंने बाद में भी विस्तार से नहीं बताया कि ‘ जंजीर ’ के विजय को कैसे सोचा और गढ़ा। कुछ मोटीज जानकारियां आज तक मीडिया में तैर रही हैं। अमिताभ बच्चन स्वयं अपने किरदारों के बारे में अधिक बातें नहीं करते। वे लेखकों और निर्देशकों को सारा श्रेय देकर खुद छिप जाते हैं। अगर हिंदी फिल्मों के किरदारों को लेकर विश्लेषणात्मक बातें की जाएं तो कई रोचक जानकारियां मिलेंगी। क्यों कोई किरदार दर्शकों का चहेता बन जाता है और उसे पर्दे पर जी रहा कलाकार भी उन्हें भा जाता है ? इसे खोल पाना या डिकोड कर पाना मुश्किल काम है। अगर फिल्म किसी खास चरित्र पर नहीं है या बॉयोपिक नहीं है तो हमेशा प्रमुख चरित्र अनेक व्यक्तियों का पुंज होता है। जीवन में ऐसे वास्तविक चरित्रों का मिलना मुश्किल है। सबसे पहले लेखक ...