दरअसल : सिनेमा की सोच और ग्रामर बदल रहा है फैंटम
-अजय ब्रह्मात्मज चार साल पहले तीन निर्देशकों ने एक निर्माता के साथ मिल कर एक प्रोडक्शन कंपनी खड़ी की। यशराज फिल्म्स स्टूडियो में विक्रमादित्य मोटवाणी की फिल्म ‘लूटेरा’ से इसका उद्घाटन हुआ। रणवीर सिंह और सोनाक्षी सिन्हा की श्ह फिल्म फैंटम ने बालाजी फिल्म्स के साथ मिल कर बनाई थी। फिल्म की तारीफ हुई। फिल्म अच्छा व्यवसाय नहीं कर सकी। फैंटम का उद्देश्य था कि इसके निदेशकों में फिल्मों के निर्देशक हैं,जिन्हें अपने शिल्प का ज्ञान हो। कारपोरेट घरानों के आने के बाद से देखा जा रहा है कि एमबीए कर के आए अधिकारी फिल्मों की क्रिएटिविटी तय कर रहे हैं। नतीजतन न तो फिल्में बन पा रही हैं और न बिजनेस हो पा रहा है। रिलाएंस जैसी आर्थिक रूप से मजबूत कंपनी ने भी अपना डेरा-डंडा समेट लिया है। पिछले दिनों खबर आई थी कि रिलाएंस ने फैंटम के साथ स्ट्रेटजिक एलाएंस किया है। इस एलाएंस के जो भी मायने निकलते हों। एक चीज तो स्पष्ट है कि फैंटम ने अपनी मौजूदगी धमक दे दी है। फैंटम के मुख्श् कर्ता-धर्ता मधु मंटेना,अनुराग कश्यप,विक्रमादित्य मोटवाणी और विकास बहल हैं। चारों ने मिल कर नई किस्म की फिल्मों का प्रोडक्शन