Posts

Showing posts with the label अनुराग कश्यप.देव डी

कुछ खास:देव डी की रूपांतर प्रक्रिया-अनुराग कश्यप

अनुराग कश्यप ने पिछले दिनों पुणे में देव डी की रूपांतर प्रक्रिया के बारे में बात की थी.यह पोस्ट उसी की प्रस्तुति है... मसलन पारो के लौट के आने का सीन था। मैंने सीधा-सीधा पूछा उनसे कि ये लडक़ी लौट कर आती है, पारो, जो हुआ देव के साथ, देव ने उसे अपमानित किया और बाद में रियलाइज करता है, वो लौट कर आती है। देव जब बोलता है - यू मेक लव टू मी। सवाल था कि क्या वह उसके साथ सोएगी? लड़कियों ने कहा कि वह सोएगी और देव को ऐसा आनंद देगी कि वह जिंदगी भर याद रखे। फिर मैंने अपने दिमाग में सोचा कि उस सीन तक जाऊं की नहीं जाऊं? फिर मैंने मां से बात की। देवदास के बारे मुझे ऐसा लगता रहा है कि यह शरत बाबू का सबसे कमजोर उपन्यास है। साहित्य के लिहाज से,लेकिन सबसे ज्यादा रॉ और सबसे ज्यादा ईमानदार भी है कहीं न कहीं। शायद वे तब तक परिपक्व नहीं हुए थे, जब उन्होंने देवदास लिखी थी। देवदास मैंने बहुत पहले पढ़ी थी, जब मैं कालेज में था। उसके बाद मैंने कभी देवदास नहीं पढ़ी। फिल्म बनाने से पहले भी नहीं पढ़ी। कई चीजें आपको याद रह जाती हैं। और कई चीजें उतनी याद नहीं रहतीं। मैं जानबूझ कर उनसे परे रहना चाहता था। अभय देओल ने एक...