फिल्म समीक्षा:दिल कबड्डी
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** 1/2 एडल्ट कामेडी अनिल सीनियर ने दिल कबड्डी में विवाहेतर संबंध के पहलुओं को एक नए अंदाज में वयस्क नजरिए से रखा है। विवाहेतर संबंध पर बनी यह कामेडी फिल्म कहीं भी फूहड़ और अश्लील नहीं होती और न ही हंसाने के लिए द्विअर्थी संवादों का सहारा लिया गया है। पति-पत्नी के रिश्तों में बढ़ती दूरी का कारण तलाशते फिल्म बेडरूम तक पहुंचती है और वहां के भेद खोलती है। हिंदी फिल्मों में सेक्स लंबे समय तक वर्जित शब्द रहा है। दिल कबड्डी इस शब्द से परहेज नहीं करती। इरफान खान और सोहा अली खान पति-पत्नी हैं। एक-दूसरे से ऊब कर दोनों अलग रहने का फैसला करते हैं। बाद में दोनों के नए संबंध बनते हैं। उनके अलग होने पर हाय-तौबा मचाने वाली कोंकणा सेन शर्मा पति को छोड़ कर एक मैगजीन के तलाकशुदा संपादक राहुल खन्ना से शादी कर लेती है। उसका पति राहुल बोस तलाक के पहले से अपनी छात्रा पर डोरे डाला करता है। फिल्म का हर किरदार अपने रिश्ते से नाखुश है। वह किसी और में सुख तलाश रहा है। मजेदार प्रसंग यह है कि इरफान और सोहा फिर साथ रहने लगते हैं। यह हमारे समय का दबाव है या रूढि़यों का टूटना है? नाखुश दंपति अवसर पाकर नए संबंधों का स...