सिनेमालोक : यशराज फिल्म्स के 50 साल
सिनेमालोक
यशराज फिल्म्स के 50 साल
-अजय ब्रह्मात्मज
अपने बड़े भाई बीआर चोपड़ा से 1970 में अलग होने के कुछ समय बाद यश चोपड़ा
ने यशराज फिल्म्स की स्थापना की. 1971 में
यशराज फिल्म्स अस्तित्व में आया. पिछले 50 वर्षों
में यह प्रोडक्शन कंपनी विकसित होकर अभी सुगठित और व्यवस्थित स्टूडियो के रूप में
कार्य कर रही है. इस दरमियान यशराज फिल्म्स ने 81 फिल्में प्रोड्यूस की हैं. इनके
अलावा अनेक फिल्मों का डिस्ट्रीब्यूशन किया है. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी
कार्यप्रणाली, व्यवस्था और एकाग्रता से यह प्रतिष्ठित प्रोडक्शन कंपनी गई है.
यशराज फिल्म्स का मुख्य उद्देश्य मनोरंजन जगत में दर्शकों की रुचि के मुताबिक
फिल्मों और अन्य रोचक सामग्रियों का निर्माण करना है. स्टूडियो के स्वरूप में आने
के पहले यश चोपड़ा और आदित्य चोपड़ा ही फिल्मों का निर्देशन करते थे. अभी यशराज
स्टूडियो बाहरी निर्देशकों से तीन फिल्मों का अनुबंध कर निर्माण करता है.
यश चोपड़ा जालंधर में पले-बढ़े. अपने
बड़े भाई बीआर चोपड़ा की तरह उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता था. उन्होंने ऊंची
शिक्षा ग्रहण नहीं की. सिर्फ 19 साल
की उम्र में अपने बड़े भाई के पास मुंबई आ गए. बीआर चोपड़ा उम्र में उनसे 18 साल बड़े थे. पिता के निधन के बाद
उन्होंने ही भाइयों को पिता की तरह संभाला और उनकी आजीविका की व्यवस्था की. मुंबई
आने के बाद यश चोपड़ा ने बीआर फिल्म्स में काम शुरू किया. वे कुछ सालों तक उनके
सहायक रहे. यश चोपड़ा की इच्छा थी कि वह खुद निर्देशन में उतरें, लेकिन बड़े भाई
चाहते थे कि 5-6 साल का अनुभव हो जाए तब उन्हें
निर्देशन की जिम्मेदारी दी जाए. आखिर वह समय आया और यश चोपड़ा ने ‘धूल का फूल’(1959)
फिल्म निर्देशित की. इस फिल्म को अच्छी सराहना मिली. दोनों भाइयों के बीच एक
समझदारी थी कि वे एक साथ निर्देशन नहीं करेंगे. बीआर फिल्म्स में बीआर चोपड़ा ने
सब कुछ अनुशासित कर रखा था. हर काम पूरी मुस्तैदी, ईमानदारी और लगन से किया जाता
था. तय हुआ था कि दोनों भाई एक-एक कर फिल्में निर्देशित करेंगे. बीआर फिल्म्स के
साथ काम करते हुए यश चोपड़ा ने पांच फिल्में निर्देशित कीं- ‘धूल का फूल’ (1959), ‘धर्मपुत्र’ (1962), ‘वक्त’ (1965) और ‘इत्तफाक’ (1969)
1970 में 38 साल की उम्र में यश चोपड़ा की शादी हुई. बीआर चोपड़ा चाहते थे कि
छोटा भाई यश भी शादी कर अपना घर बसा ले, लेकिन यह चोपड़ा को कोई लड़की पसंद ही
नहीं आती थी. आखिरकार भतीजे रवि चोपड़ा की शादी के मौके पर आयोजित संगीत समारोह
में उनकी नजर गीत गा रही पामेला सिंह पर अटक गई. बात आगे बढ़ी और दोनों की शादी हो
गई. शादी के बाद यश चोपड़ा के जीवन में तेजी से घटनाएं घटीं. बीआर चोपड़ा ने
हनीमून के लिए उनके वर्ल्ड टूर का इंतजाम कर दिया था. वहां से लौटने के बाद यश
चोपड़ा ने भाई को अलग होने का फैसला सुना दिया. 20 साल साथ रहने के बाद भाई के इस फैसले ने बीआर चोपड़ा की जीवन में रिक्तता
भर दी. दोनों इस घटना से व्यथित और भावुक रहे. यश चोपड़ा ने स्वीकार किया था. ‘मैं
बीआर की बहुत इज्जत करता हूं. मैं मानता हूं कि मेरा वजूद ही उनकी वजह से है.
उन्होंने मुझे पाला और बड़ा किया. मैंने उनके साथ सही बर्ताव नहीं किया.’ यश
चोपड़ा को आजीवन यह ग्लानि रही.
इस साल 50 साल पूरे होने के मौके पर आदित्य चोपड़ा की विज्ञप्ति में इस ग्लानि
का एहसास नहीं है. वह लिखते हैं... ‘1970 में,
मेरे पिता यश चोपड़ा ने अपने बड़े भाई श्री बीआर चोपड़ा की छत्र-छाया की सुरक्षा
को त्याग कर अपनी खुद की कंपनी बनाई. उस समय तक वह बीआर फिल्म्स के केवल आज एक
मुलाजिम थे और उनके पास अपना कोई सरमाया नहीं था.’ इस अभिव्यक्ति में स्पष्ट है कि
बीआर फिल्म्स में बिताए 20
साल यश चोपड़ा के लिए सुखद नहीं रहे.
उन्हें खुद का ख्याल रहा हो और भाई से रही अपेक्षा पूरी नहीं हुई हो. यह बात
उन्होंने अपने परिवार में बीवी-बेटों से शेयर की हो. रिश्तेदारी और भैयारी में ऐसी
बातें किसी पुराने घाव के फूटने से ही निकलती हैं.
बहरहाल. यशराज फिल्म्स आज प्रतिष्ठित
और स्थापित बैनर और स्टूडियो है. फिल्म जगत के लोकप्रिय और उत्तम प्रतिभाएं उनके
साथ काम करती हैं. इन दिनों यशराज फिल्म्स अनेक बड़ी फिल्मों के प्रोडक्शन से
जुड़ा है. उनकी कुछ फिल्में तैयार हैं और कुछ निर्माणाधीन हैं. निर्माणाधीन
फिल्मों में करण मल्होत्रा निर्देशित ‘शमशेरा’ और डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी निर्देशित
‘पृथ्वीराज’ उल्लेखनीय हैं.
उम्मीद थी कि 50 साल के मौके पर किसी नई फिल्म की घोषणा
हो. शायद कोविड-19 की वजह से चल रही तालाबंदी में पर्याप्त तैयारी नहीं हो पाई हो,
इसलिए कोई घोषणा नहीं हो पाई हो.
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