सिनेमालोक फिर से दबा ‘पॉज’ बटन
सिनेमालोक
फिर से दबा
‘पॉज’ बटन
-अजय
ब्रह्मात्मज
पिछले हफ्ते इसी स्तंभ में ‘शूटिंग
आरंभ होने के आसार’ का जिक्र हुआ था. इन दिनों जिस प्रकार से फिल्म कलाकारों के घर
से निकलने, स्टूडियो जाने और पार्टियों की तस्वीरें आ रही थीं,उनसे लग रहा था कि
सब कुछ सामान्य हो रहा है. इस बीच अमिताभ बच्चन और अभिषेक बच्चन के कोविड संक्रमित होने से फिल्म इंडस्ट्री फिर से ठिठक
गई है. ‘पॉज’ बटन फिर से दब गया है. हम सभी जानते हैं कि अमिताभ बच्चन और अभिषेक
बच्चन दोनों ही शूटिंग और डबिंग के काम में लगे हुए थे. कोविड-19 के संक्रमण के स्रोत का पता लगाना मुश्किल काम है,
लेकिन ऐसा लगता है कि शूटिंग में डबिंग की गतिविधियों में शामिल होने से इसकी
संभावना बनी होगी.
बच्चन पिता-पुत्र अभी डॉक्टरों की
निगरानी में अस्पताल में हैं. ऐश्वर्या राय बच्चन और आराध्या घर पर ही क्वारंटाइन
का पालन कर रहे हैं. बच्चन परिवार के अलावा खेर परिवार में भी कोविड संक्रमण हो
चूका है. आने वाले दिनों में गहन जांच के बाद कुछ और मामले निकल सकते हैं. अभी
संख्या और व्यक्ति अधिक महत्वपूर्ण नहीं है. महत्वपूर्ण सावधानी है. किसी भी
प्रकार की लापरवाही कोविड को खुला निमंत्रण दे सकती है.
फिल्म निर्माण आधारभूत रूप से सामूहिक
सहयोग की प्रक्रिया है. यह अकेले बंद कमरे में संभव नहीं है. कई विभागों(लाइट.साउंड.मेकअप
आदि) के लोग शामिल होते हैं. सिर्फ डबिंग भी करनी हो तो स्टूडियो आने-जाने के
अलावा वहां कार्यरत तकनीशियनों के साथ मिलना-जुलना होता है. एक निर्देशक ने बताया
कि डबिंग स्टूडियो में हर कलाकार के आने के पहले और जाने के बाद स्टूडियो सैनिटाइज
किया जाता है. डबिंग के लिए बेहद जरूरी एक-दो तकनीशियन और स्टूडियो स्टाफ रहते हैं. स्पष्ट
निर्देश है कि एक से
अधिक कलाकार एक बार में स्टूडियो ना आयें परस्पर संवाद के दृश्यों की डबिंग के लिए
सभी कलाकारों की साथ-साथ मौजूदगी जरूरी नहीं रह गई है. सभी कलाकार अलग-अलग समय पर
आकर अपने संवाद और प्रतिक्रियाएं रिकॉर्ड कर सकते हैं. युगल गीतों की रिकॉर्डिंग
में भी गायकों का साथ में आना और जाना जरूरी नहीं रह गया है.
पोस्ट प्रोडक्शन के काम एहतियात के साथ
अभी चल रहे हैं, लेकिन वह अधिक संयमित और अनुशासित हो गया है. ख्याल रखा जाता है
कि एडिटिंग, डबिंग, साउंड, मिक्सिंग, कलर करेक्शन आदि के काम में ज्यादा लोग
एकत्रित ना हों. कुछ स्टूडियो ने अपने कर्मचारियों को घर से काम करने की छूट दे
रखी है. घर पर ही उन्हें ज़रूरी मशीनें दे दी गे हैं. निश्चित समय पर लॉगिन कर
मास्टर कंप्यूटर से उस दिन का कार्य ले लेते हैं और काम समाप्त कर लॉग आउट हो जाते
हैं. पोस्ट प्रोडक्शन में फिल्मों के लीक होने की घटनाओं ने कड़ी निगरानी पर बल
दिया है. ख्याल रखा जाता है कि फिल्म और उसके फूटेज लीक न हों. उनकी वाटर मार्किंग
की जाती है ताकि चोरी होने की स्थिति में पता चल सके कि कहां और किस से चूक हुई.
फिल्म इंडस्ट्री के लिए यह मुश्किल
वक्त है. पिछले चार महीनों से कामकाज ठप है. बढ़ते मामलों को देखते हुए फिलहाल
इसके खुलने के आसार खत्म होते दिख रहे . एक अनुमान था कि जुलाई के अंत तक स्थिति
सामान्य हो गई शूटिंग आरंभ हो जाएगी. हिंदी फिल्मों के निर्माण केंद्र मुंबई की
कोविड स्थितिचिंताजनक है. हाँ.कुछ फिल्म यूनिट दूसरे शहरों और देशों में जाकर शूटिंग करने की
योजनाएं बना रही हैं, जहां कलाकार और तकनीशियन रोजाना अपने घर नहीं लौट सकेंगे.
सीधा मतलब है उनका किसी बाहरी व्यक्ति से मेलजोल नहीं होगा. इसके व्यवहारिक पक्ष
पर विमर्श और मंथन चल रहा है. दरअसल,फिल्म इंडस्ट्री जल्दी से जल्दी सक्रिय होना
चाहती है.
संपन्न कलाकार, तकनीशियन और
निर्माता-निर्देशक तो और कुछ महीनों बगैर आमदनी के काम चला लेंगे, लेकिन दिहाड़ी
मजदूरों और कलाकारों की मुसीबतें लगातार घनी होती जा रही हैं. दान और राहत से कब
तक काम चलेगा और वह भी कब तक जारी रहेगा?
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