संडे नवजीवन : फिक्र उनको भी है ज़माने की,बातें हैं कुछ बताने की
संडे नवजीवन
फिक्र उनको भी है ज़माने की,बातें हैं कुछ बताने की
-अजय ब्रह्मात्मज
भाग रहा है तू
जैसे वक्त से आगे निकल जाएगा
तू थम जा, ठहर जा
मेरी परवाह किए बिना खुशियां खरीदने में लगा है तू
याद रख लकीरे तेरे हाथों में है
पर मुझ से जुड़ा एक धागा भी है
कुदरत हूं मैं
ग़र लड़खडाई तो यह धागा भी टूट जाएगा
हवा पानी मिट्टी के बिना तू कैसे जिंदा रह पाएगा
तो तू थम जा, ठहर जा.
इन पंक्तियों में कृति सैनन प्रकृति का मानवीकरण कर सभी के साथ
खुद को भी सचेत कर रही है. लॉकडाउन(पूर्णबंदी) के इस दौर में अपनी मां और छोटी बहन
नूपुर के साथ वह घरेलू कामों से फुर्सत मिलने पर या यूं कहे कि स्वयं को अभिव्यक्त
करने की इच्छा से प्रेरित होकर कवितानुमा पंक्तियां लिख रही हैं. कृति की बहन
नूपुर भी कविताएं कर रही हैं. और भी फिल्म कलाकार लिख रहे होंगे. उनकी ये
पंक्तियां भले ही ‘कविता के प्रतिमान’ पर खरी ना उतरे, लेकिन इन पंक्तियों के भाव
को समझना जरूरी है. पूर्णबंदी हम सभी को आत्ममंथन, विश्लेषण और आपाधापी की जिंदगी
का मूल्यांकन करने का मौका दे रही है. हमारी दबी प्रतिभाएं प्रस्फूटित हो रही हैं.
ठहराव की इस घड़ी में हम सभी (सितारे भी) का जीवन निथर रहा है.
पूर्णबंदी समाप्त होने में अभी एक सप्ताह बाकी है. अगर 3
मई को पूर्णबंदी से आंशिक छूट मिली भी
तो यह तय है कि फिलहाल सिनेमाघर नहीं खुलेंगे. फिल्मों की शूटिंग आरंभ नहीं होंगी.
सीमित दायरे में पूरी तरह से सुरक्षित कुछ गतिविधियां और मेल-मुलाकातें हो सकती हैं.
लेकिन कोविड-19 के व्यापक खतरे को देखते हुए लगता है कि लोकप्रिय फिल्म स्टार
जल्दी घरों से नहीं निकलेंगे. उन्हें निकलना भी नहीं चाहिए.
कोविड-19 के प्रकोप की वजह से लागू पूर्णबंदी में फिल्मों के दर्शक/प्रशंसक
अपने सितारों की गतिविधियों की जानकारी, खबरों और वीडियो की तलाश में रहते हैं.
उनकी तस्वीर और खबरों को पाठकों और प्रशंसकों तक पहुंचाने के माध्यम(पत्रकार और
फोटोग्राफर) इन दिनों निष्क्रिय हैं. हाँ. फिल्मी सितारे भिन्न तरीकों से सक्रिय
हैं. शुरुआत तो संदेशों से हुई थी. कोरोना के प्रकोप को समझने में आम नागरिकों की
तरह उन्हें भी वक्त लगा. समझने के बाद सभी ने स्वयं ही खुद को नजरबंद किया. इस
आकस्मिक नजरबंदी में कुछ दिन तो इस रोमांटिक एहसास के साथ गुजरे कि सब कुछ अपने
हाथों से करने को मिल रहा है. ‘फॅमिली टाइम’ का संयोग बना है. बर्तन धोने. झाड़ू
लगाने और पंखे साफ करने की तस्वीरें आयीं. कुछ वीडियो में गाना-बजाना, डांस या
कसरत करते भी सितारे दिखाई पड़े. इन दिखावटी हरकतों में कुछ स्टारों ने अपने जिम
से वर्जिश की तस्वीरें और वीडियो लगाएं तो उनके इस भोंडे प्रदर्शन से फराह खान
नाराज हो गयीं. उन्होंने झल्लाहट और खीझ में उनसे आग्रह किया कि ऐसे वीडियो ना
डालें. उन्हें भी अपनी चूक महसूस हुई और जिम के वीडियो में तेजी से कमी आई.
पाठकों और दर्शकों की जिज्ञासा बनी रही कि उनके पसंदीदा फिल्मी
सितारे जबरन फुर्सत के इन पलों में क्या कर रहे हैं? यह उनकी प्रेरणा और ढाढस के
लिए भी जरूरी था. वैश्विक महामारी अमीर-गरीब का भेद नहीं करती. वह स्लम से लेकर आलीशान
अपार्टमेन्ट तक में घुस रही है. वह सभी के लिए जानलेवा खतरा बन रही है. हां, अमीर
सुविधा संपन्न सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम कर लेते हैं. उनकी जेबें इतनी गहरी होती हैं
कि गुजर-बसर की मुसीबत नहीं आती. फिर भी समय तो काटना पड़ता है, आप कहीं जा नहीं
पा रहे हैं. किसी से मिल नहीं पा रहे हैं. घर बैठे आखिर कितने घंटे फिल्में देख
सकते हैं या फोन पर दोस्तों से बातें कर सकते हैं? फैमिली टाइम का उत्साह भी निरंतर
परिवार के साथ रहने से कुछ हफ्तों में खत्म हो जाता है. उन्होंने खुद बर्तन, झाडू,
साफ-सफाई करने की तस्वीरें भले ही डाल दी हों, लेकिन हमारा सहज ज्ञान कहता है कि
उनके घरों के सेवक, परिचारक और रसोइये उनके साथ ही रहते हैं. कैसे और क्या इंतजाम
किया गया है? इसकी खबर बाहर नहीं आ पाई है.
कुछ फिल्मी सितारे अधिक सुविधाओं में आराम से समय बिता रहे हैं.
पूर्णबंदी मैं उन्हें कोई दिक्कत नहीं हुई. धर्मेंद्र पिछले कुछ सालों से ज्यादा
समय अपने फॉर्म हाउस पर ही बिताते हैं. वहां से प्यारे वीडियो पोस्ट किया करते हैं.
इधर कोविड-19 ने उन्हें भी बेचैन कर दिया है. उम्र के इस पड़ाव पर वे दुनिया
के लिए चिंतित नजर आते हैं. सलमान खान सपरिवार फॉर्म हाउस पर हैं. केवल उनके पिता
सलीम खान मुंबई में हैं. पिछले दिनों एक वीडियो में उन्होंने बताया कि अपनी मां,
बहनों और भांजे-भतीजे के साथ फॉर्म हाउस पर समय बिता रहे हैं. कभी घुड़सवारी करते
तो कभी यूं ही टहलते तो कभी शेष दुनिया को सचेत करते उनके वीडियो आया करते हैं.
शाह रुख खान का समय मदद और राहत के निगरानी में लगा है. लेडी गागा के नेतृत्व में
दुनिया भर के परफोर्मिंग आर्टिस्ट के साथ
शाह रुख खान ने भी ‘वन वर्ल्ड टुगेदर ऐट होम’ में हिस्सा लिया. उन्होंने अपने दफ्तर का एक फ्लोर
क्वॉरेंटाइन के लिए उपलब्ध करवा दिया है. खानों में आमिर खान की गतिविधियों की
जानकारी नहीं मिल पा रही है. उधर सैफ अली खान पिछले दिनों अपने बेटे तैमूर के साथ
गमलबानी करते दिखे. वैसे उनकी एक तस्वी कुछ पढ़ते हुए भी आई,लेकिन उसमें जलती
मोमबत्ती देख एहसास हुआ कि केवल इफ़ेक्ट के लिए यह इंतजाम था.
पूर्णबंदी की शुरुआत के समय अक्षय कुमार, शाह रुख खान कार्तिक
आर्यन समेत दूसरे कलाकारों के संदेशपूर्ण वीडियो आए थे. इनमें कार्तिक आर्यन और
शाह रुख खान के वीडियो में क्रिएटिविटी नजर आई. संदेश के साथ उनकी शैली और विनोदप्रियता
दिखी. बाकी स्टार केवीडियो औपचारिकता और अनिवार्यता की रस्मनिभाई थी. इसी रस्मनिभाई
में 20 सेकंड हाथ धोने के वीडियो भी सामने आए. अगर समय-समय पर आये
वीडियो की चर्चा करें तो एक वीडियो में प्रीति जिंटा अपनी मां की चंपी करती नजर
आती हैं. संभवत वह अपने पति को चंपी के मतलब भी समझा रही हैं. एक तस्वीर में दिखा
कि कंगना रनोट की मां उनके बालों में तेल लगा रही हैं. कंगना रनोट मनाली के अपने
नए मकान में सपरिवार रुकी हुई हैं. वहां सभी के साथ वह कभी धूप सेंकती तो कभी खुले
में खेलती-बोलती-बतियाती नजर आती हैं. शिल्पा शेट्टी को आजकल टिक टॉक का शौक चढ़ा
है. कभी-कभी वह योगाभ्यास करती और प्रेरित करती हैं. यूं तो सिद्धार्थ मल्होत्रा
भी अपनी रसोई में कुछ पकाते दिखे. जूही चावला धनिया और मेथी बो रही हैं तो भूमि
पेडणेकर हाइड्रो तकनीक से सब्जियां उगा रही हैं. साथ ही पढ़ाई भी कर रही हैं. बहुत
कम स्टार पढ़ने या किताबों की बातें कर रहे हैं. सच्चाई है कि फिल्म स्टार फोटो और वीडियो
के लिए ही घरेलू काम करते हैं. अगर आपने कट्रीना कैफ को झाड़ू लगाते वीडियो में देखा
हो तो इसे समझ सकते हैं.
कुछ दिनों के आराम-विश्राम के बाद फिल्म स्टार के वीडियो,
इंस्टा और दूसरे ऐप के माध्यम से इंटरव्यू आने लगे हैं. इंस्टाचैट तेजी से बढ़ रहा
है. हां, इनमें ए लिस्टर स्टार कम नजर आते हैं छोटे और मझोले स्टार बोलते-बतियाते और
अपनी गतिविधियाँ शेयर करते हैं. दरअसल, मीडिया भी स्तंभित है. तकनीकी सुविधाओं के
बावजूद काल्पनिकता की कमी से वह नए तरीके नहीं खोज पा रही है. सच तो यह है कि अनेक
फॉर्म और स्टाइल से भिन्न विषयों पर रोचक बातें हो सकती हैं. जैसे कि पंकज त्रिपाठी
अपनी जिंदगी के अनुभव और किस्से दिलचस्प अंदाज में सुना रहे हैं.
कार्तिक आर्यन की ‘कोकी पूछेगा’ सीरीज अपनी प्रासंगिकता और
नवीनता की वजह से खूब चर्चित हुआ है. कोकी उनके पुकार का नाम है. इस नाम से वह इन
वीडियो में कोविड-19 से जूझ रहे फ्रंटलाइन योद्धाओं के मनोरंजक इंटरव्यू करते हैं.
उनके बारे में बताते हैं. साथ ही उन्हें भी कुछ कहने का मौका देते हुए कोविड-19 के बारे में जानकारी
बढ़ाते हैं. ट्रू और मिथ में पूछे गए उनके सवालों के जवाब में सरल शब्दों में सटीक
जानकारी मिल जाती है. ‘कोकी’ पूछेगा के वीडियो निराशा के इन पलों में आम दर्शकों
का मनोबल बढ़ाते हैं.
इतना तय है कि फिल्म स्टार भी सामाजिक और पारिवारिक प्राणी हैं.
हम सभी की तरह इस विशेष परिस्थिति में वे सामान्य मनुष्य की तरह आचार-व्यवहार कर
रहे हैं. फिल्मी गतिविधियों से संबंधित आवरण उन्होंने उतार दिया है. वे इस विषम
माहौल में अपनी चारदीवारी में सहज,सामान्य और संजीदा नजर आ रहे हैं.
हम सभी जानते हैं कि आयुष्मान खुराना समय-समय पर कविताओं में भावोद्गार व्यक्त करते हैं. अंत में कोरोना काल
में लिखी उनकी कविता की कुछ पंक्तियां...
वह सामने वाली बिल्डिंग कुछ दिन पहले सील हो गई
तब से आस-पड़ोस के लोगों की जिंदगी थोड़ी तब्दील हो गई
उसी बिल्डिंग के नीचे वाली दुकान से तो घर का सामान आता था
बीमारी के बारे में कुछ दिन पहले बता देते तो क्या जाता था
आज हम डरे हुए हैं
जीवित हैं. पर मरे हुए हैं
आज लगता है कि काश कर दे सब कुछ ठीक
उस दुनिया को करके रिवाइंड
बिलीव मी दिस इज नथिंग बट द कलेक्टिव कर्मा ऑफ ह्यूमन काइंड...
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