सिनेमालोक : एक थीं रेणुका देवी
सिनेमालोक
एक थीं रेणुका देवी
-अजय ब्रह्मात्मज
अलीगढ़ के पापा मियां(शेख अब्दुल्ला) की बेटी खुर्शीद की
तमन्ना थी कि वह फिल्मों में काम करें. संयोग कुछ ऐसा बना कि उनकी तमन्ना पूरी हो
गई, दरअसल, हुआ यूं कि दसवीं की पढ़ाई के बाद जब खुर्शीद ने आगे पढ़ने से इंकार कर
दिया तो तालीम के पैरोकार पापा मियां को बहुत कोफ़्त हुई. उन्होंने खुर्शीद की
पढ़ाई में कोई रुचि नहीं देखी तो फिर जल्दी में शादी कर दी. खुर्शीद के शौहर अकबर
मिर्जा यूपी में पुलिस की नौकरी में थे. इस बीच खुर्शीद के बड़े भाई मोहसिन बॉम्बे
टॉकीज में हिमांशु राय के साथ काम कर रहे थे. उन्होंने बहन से हिमांशु राय और उनकी
अभिनेत्री पत्नी देविका रानी की तारीफ की. खुर्शीद ने हिम्मत कर उन्हें अपनी
ख्वाहिश लिखी और साथ में तस्वीर भी डाल दी.
कुछ दिनों में जवाब आ गया, लेकिन खत शौहर के हाथ लगा. खुर्शीद
ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि उनके शौहर उनके ख़त खोल लिया करते थे. हिमांशु राय
के यहां से आई चिट्ठी भी उन्होंने खोलकर पढ़ ली थी. उन्होंने बीवी से पूछा, तुमने
हिमांशु राय को चिट्ठी लिखी थी? इस सवाल में उलाहना नहीं थी. खुर्शीद ने हाँ कहा
और ख़त माँगा. खत के मजमून को पढ़ कर वह बहुत खुश हुईं, क्योंकि जवाब में मुंबई आने
का निमंत्रण मिला था.अकबर मिर्जा को खुर्शीद की ख्वाहिश आसानी से मंजूर नहीं हुई.
उन्होंने बात टाल दी. बाद में वरिष्ठ अंग्रेज अधिकारी के सलाह पर वह माने और मुंबई
जाने के लिए तैयार हुए, लेकिन साथ में शर्त रख दी कि तुम फिल्मों के लिए हां नहीं
कहोगी.
बहरहाल, दोनों मुंबई पहुंचे. हिमांशु राय की आवभगत से दोनों
प्रसन्न हुए. हिमांशु राय शूट हो रही फिल्म ‘जीवन प्रभात’ में खुर्शीद को यूंही
दृश्य में रहने का निमंत्रण दिया. हिमांशु राय ने अकबर मिर्जा और मजाज के छोटे भाई
को भी एक ‘रनिंग सीन’ में पेश कर दिया. शायद वह शूटिंग और स्टूडियो के माहौल से
उन्हें वाकिफ कराना चाहते थे. कुछ दिनों के मुंबई प्रवास के बाद खुशी-खुशी दोनों
लौट गए. लौटने के कुछ समय बाद फिर से हिमांशु राय का पत्र मिला. इस बार उन्होंने फिल्म
का ऑफर किया. तब देविका रानी की तबीयत ठीक नहीं चल रही थी और उन्हें नई फिल्म ‘भाभी’
की शूटिंग करनी थी. अकबर ने अबकी बार इस शर्त पर राजी हुए कि तुम फिल्म कर लो,
लेकिन इसके लिए एक पैसा नहीं लोगी. जीवन के उत्तरार्ध में एक इंटरव्यू में खुर्शीद
ने बताया था कि ऐसा करने के पीछे अकबर का यही मकसद था कि पैसों की बात नहीं होगी
तो करार नहीं होगा और करार नहीं होगा तो किसी तरह की बात उठने पर वे अपनी बीवी को
लेकर चले आएंगे. ‘भाभी’ की शूटिंग तीन महिनोब के निश्चित समय में पूरी कर ली गई.
इस फिल्म के लिए खुर्शीद को ₹2000 मिले. उन दिनों अशोक कुमार ₹350
महीने पर बॉम्बे टॉकीज में काम कर रहे
थे.
खुर्शीद ने अपनी ख्वाहिश के मुताबिक फिल्मों में एक्टिंग तो कर
ली, लेकिन उन्हें डर भी था कि अलीगढ़ में बवाल हो सकता है. संभावित बवाल से बचने
के लिए उन्होंने नाम बदल लेना उचित समझा. फिल्म इंडस्ट्री में तब ‘स्क्रीन नेम’ का
चलन था. देविका रानी ने उन्हें तीन नाम सुझाए. उनमें से एक रेणुका देवी भी था, जो खुर्शीद को पसंद
आया. नाम चुनने के बाद देविका रानी ने उन्हें बताया कि रेणुका उनकी छोटी बहन थी,
जो बचपन में ही गुजर गई थी. खुर्शीद फिल्मों में रेणुका देवी के नाम से आयीं. अगर
आज इंटरनेट सर्च में रेणुका देवी नाम डालेंगे तो बेगम खुर्शीद मिर्जा का नाम आएगा.
उसमें यह बताया गया है उन्होंने रेणुका देवी के नाम से उन्होंने कुछ फिल्मों में
काम किया था.
वास्तव में रेणुका
देवी की पहली फिल्म 1937 में आई थी और 1944
में उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री को अलविदा
कह दिया था. ‘गुलामी’ फिल्म की शूटिंग में सात महीनॉन का लंबा समय लगा तो उन्हें एहसास हुआ कि वह अपने परिवार
और बेटियों का सही ध्यान नहीं रख पा रही हैं. उनकी आखिरी फिल्म ‘सम्राट चंद्रगुप्त’
1945 में रिलीज हुई थी.
नाम बदल लेने से भी बवाल नहीं रुका. उनके वालिद शेख अब्दुल्ला
के दुश्मनों ने मुस्लिम तहजीब का हवाला देते हुए हंगामा किया, बात बढ़ी तो शेख
अब्दुल्ला ने पहले तो कहा कि शादी के बाद लड़की की जिम्मेदारी उसके पति की होती है.
फिर भी शोरगुल जरी रहा तो तंग आकर उन्होंने मानहानि का मुकदमा कर दिया. उसमें जीत
भी गए. तब ऐसा माहौल हो गया था कि रेणुका देवी यानी खुर्शीद की मां ने उन्हें
अलीगढ़ नहीं आने की हिदायत दी थी. लगभग डेढ़ साल तक खुर्शीद अपने मायके नहीं जा
सकी थीं.
यही रेणुका देवी अपने पति और बेटियों के साथ 1947 में
पाकिस्तान चली गयीं. वहां भी उनके पति ने पुलिस विभाग में नौकरी की. पाकिस्तान में
लंबे समय तक वह पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ सामाजिक कार्य भी करती रहीं. अपने
जीवन के आखिरी दशकों में उन्होंने फिर से अभिनय किया. पाकिस्तान टीवी के शो में वह
सक्रिय हुईं. उन्होंने हसीना मोईन के लिखे अनेक टीवी शो में काम किए और एक नया मुकाम
हासिल किया।
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