सिनेमालोक : अभिनेत्रियों की तू तू... मैं मैं...

सिनेमालोक
अभिनेत्रियों की तू तू... मैं मैं...
-अजय ब्रह्मात्मज
निश्चित ही वे हंस रहे होंगे. उनके लिए यह मौज-मस्ती और परनिंदा का विषय बन गया होगा. ‘जजमेंटल है क्या’ की रिलीज के कुछ पहले से अभिनेत्रियों के बीच टिप्पणियों की धींगामुश्तीआरंभ हुई है. यह खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. कंगना रनोट और तापसी पन्नू आमने-सामने हैं. दोनों की तरफ से टिप्पणियां चल रही है. एक दूसरे में कमियां निकालने का क्रम जारी है. कहीं न कहीं इस अनावश्यक विवाद से दोनों को लाभ ही हो रहा है. दोनों चर्चा में हैं. सामने से मीडिया और पीछे से इंडस्ट्री का खास तबका मजे ले रहा है. दो बिल्लियों की लड़ाई चल रही है और बाकी उनकी ‘म्याऊं-म्याऊं’ पर सीटी और ताली बजा रहे हैं.
‘जजमेंटल है क्या’ की रिलीज के पहले तापसी पन्नू के ट्वीट का संदर्भ लेते हुए कंगना रनोट की बहन रंगोली चंदेल ने तापसी पन्नू पर टिप्पणी करते हुए उन्हें अपनी बहन की ‘सस्ती कॉपी’ कह दिया. उनकी इस टिप्पणी पर अनुराग कश्यप ने ‘प्रतिटिप्पणी’ की तो रंगोली चंदेल उन पर भी टूट पड़ीं. मामला आगे बढ़ा और ‘जजमेंटल है क्या’ के प्रमोशन के समय कंगना रनोट के हर इंटरव्यू में दो-चार सवाल इस कथित विवाद पर पूछे ही गए. कंगना रनोट ने अपना पक्ष रखा और जवाब देने के लहजे में मखौल और छींटाकशी का टोन रखा. उन्होंने यह भी कहा कि अगर आप किसी पर टिप्पणी करती हैं तो आपको खुद भी टिप्पणियों के लिए तैयार रहना चाहिए. सही बात है, लेकिन इस मामले में दोनों ‘आउटसाइडर’ अभिनेत्रियों को सोचना चाहिए कि इस ‘तू-तू मैं- मैं’ में वे खुद को हास्यास्पद स्थितियों में डाल रही हैं.
इस विवाद की पृष्ठभूमि है. ‘मनमर्जियां’ के प्रमोशन के समय एक रैपिड फायर स्टेशन में कंगना रनोट के लिए सलाह के सवाल पर तापसी पन्नू ने कह दिया था कि उन्हें कुछ भी बोलने के पहले ‘डबल फिल्टर’ का इस्तेमाल करना चाहिए. तात्पर्य था कि बयानबाजी में कंगना रनोट संयम से काम लें. यह बिन मांगी रंगोली चंदेल और कंगना रनोट दोनों को नागवार गुजरी थी. दोनों बहनें मौके की तलाश में थीं. उन्हें मौका मिला तो उन्होंने तापसी पन्नू के लिए ‘पलट टिप्पणी’ कर दी और फिर मामले ने तूल पकड़ लिया’ ‘सस्ती कॉपी’ की टिप्पणी तापसी पन्नू को सबक सिखाने के लिए की गई थी. ऐसा कंगना रनोट ने अपने एक इंटरव्यू में भी कहा.
यूं हीरोइनों की आपसी खटपट देविका रानी के जमाने से चली आ रही है. कामयाबी की राह में आगे बढ़ति अभिनेत्रियां साथ चलते-चलते कई बार अपनी गति और चाल बढ़ाने के लिए हमसफर अभिनेत्रियों पर इस तरह की टिप्पणियां कर देती हैं. पहले यह दबे-ढके और गुटबाजी के तौर पर होता था. द्वंद्व और द्वेष में भी लिहाज रखा जाता था. अब ऐसा नहीं होता. करीना कपूर, रानी मुखर्जी और प्रीति जिंटा के सक्रिय दौर में इंटरव्यू और बातचीत में उनकी परस्पर भद्दी टिप्पणियां चलती रहती थीं. कुछ लोगों को याद होगा कि जब बिपाशा बसु आई ही थीं और उनकी लोकप्रियता बढ़ रही थी तो इंडस्ट्री से आई एक अभिनेत्री ने उन पर अशोभनीय टिप्पणी की थी. श्रीदेवी और माधुरी दीक्षित के प्रतियोगी सालों में भी ऐसा होता रहा था.
प्रकृति का नियम है कि हमेशा नई पौध ज्यादा तेजी से लहलहाती है. उससे स्थापित और थोड़ी पुरानी हो चुकी प्रतिभाओं को अनजान खतरा महसूस होता है. पहले तो एक प्रतियोगी अभिनेत्रि को कोई निर्माता-निर्देशक अतिरिक्त भाव दे दे तो दूसरी अभिनेत्रि रूठ जाती थी. फिल्म अटका देती थी. कई बार छोड़ भी देती थी. ताजा मामले में देखें तो कंगना रनोट निजी मेहनत और निर्देशकों के सहयोग से आगे बढ़ी हैं. उन्हें दर्शकों और समीक्षकों का प्यार मिला है, लेकिन ‘मणिकर्णिका’ पर फिल्म इंडस्ट्री और समीक्षकों से अपेक्षित प्रशंसा और सहयोग न मिलने से वह ज्यादा संवेदनशील हो गई हैं. पिनक जाती हैं. दूसरी तरफ सलीके से आगे बढ़ रही तापसी पन्नू जिस तरह दर्शकों और निर्देशकों का ध्यान खींच रही हैं, उससे थोड़ी सीनियर अभिनेत्रियों में खलबली मची हुई है. अभिनेत्रियों के बीच मौखिक झडपें होती हैं तो मीडिया को चटकारे लेने का मौका मिल जाता है और फिर चालू होता है तमाशा...


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