सिनेमालोक : कोरियाई यथार्थ की भावुक पारिवारिक फिल्म
सिनेमालोक
कोरियाई यथार्थ की भावुक पारिवारिक फिल्म
अजय ब्रह्मात्मज
कल ‘भारत’ रिलीज होगी. सलमान खान की इस
प्रतीक्षित फिल्म के निर्देशक अली अब्बास ज़फर हैं. दोनों की पिछली फिल्मों ‘टाइगर
जिंदा है’ और ‘सुल्तान’ ने अच्छा कारोबार किया था. ‘भारत’ के साथ तिगडी पूरी होगी.
ऐसा माना जा रहा है कि यह फिल्म भी तगड़ा कारोबार करेगी. एक तो ईद का मौका है.
दूसरे इसमें कट्रीना कैफ भी हैं. हालाँकि फिल्म के ट्रेलर और गानों को दर्शकों का
जबरदस्त रेस्पोंस नहीं मिला है,लेकिन ट्रेड पंडितों को लग रहा है कि सलमान को
देखने की बेताबी फिल्म का बिज़नस बढ़ाएगी. उनका जोर इस बात पर है कि क्या ‘भारत’ 300
करोड़ का कारोबार कर पायेगी.
फिल्मों के एक्टिव दर्शकों को मालूम होगा कि
‘भारत’ कोरियाई फिल्म ‘ओड टू माय फादर’(कुकसेजिंघ) की अधिकारिक रीमेक है. कोरियाई
फिल्म 2014 में आई थी. इस फिल्म को देख कर सलमान खान इतने प्रभावित हुए थे कि
उन्होंने अभी के प्रिय नर्देशक अली अब्बास ज़फर को इसे देखने के लिए उकसाया और
हिंदी में भारतीय रूपांतर के लिए प्रेरित किया. कोरिई फिल्म देख रहे हिंदी दर्शक
जानते हैं कि वहां की फिल्मों के इमोशन हिंदी फिल्मों जैसे ही होते हैं. पहले तो
बगैर अधिकार और अनुमति लिए ही भारतीय निर्देशक चोरी-चोरी उन्हें हिंदी में बना
लेते थे. अब इस तरह की चोरियां लगभग ख़त्म हो गयी हैं. अली अब्बास ज़फर ने ‘ओड टू
माय फादर’ के मूल भाव को वैसे ही रखा है. भारतीय संदर्भ के लिए थोड़ी तब्दीलियाँ की
हैं.
‘ओड टू माय फादर’ नायक सू देयोक की कहानी है. 23
दिसम्बर 1950 को युद्ध छिड़ने के बाद आज के उत्तर कोरिया के एक तटीय बस्ती को खाली
करवाया जा रहा है. शिप में चढ़ने की हड़बोंग में सू का परिवार(पिता और बहन) बिखर
जाता है. जाते-जाते उसके पिता हिदायत देते हैं कि परिवार का ख्याल रखना,क्योंकि आज
से तुम ही परिवार के मुखिया हो. फिल्म सूके साथ साल के जीवन संघर्ष को समेटती है.
पिता और बहन से मिलने की उम्मीद में वह पूरी जिंदगी कटता है. यह फिल्म दक्षिण
कोरिया के इतिहास के साथ आगे बढती है. सारे ऐतिहासिक क्षणों को कैद करती यह फिल्म
समय के थपेड़ों से जूझते एक परिवार की कहानी कहती है. बुरे दिनों में भी वे एक-दूसरे
का सहारा बनते हैं. फिल्म का नायक जर्मनी और विएतनाम भी जाता है. इस फिल की सबसे
बड़ी खूबी है कि भावनात्मक झंझावातों में यह अपनी ज़मीन नहीं छोडती. रियल रहने की
कोशिश करती है. फिल्म में ऐसे प्रसंग हैं,जहाँ कठोरदिल दर्शकों की भी आँखें नम
होती हैं. इस फिल्म ने कोरिया में ऐतिहासिक कारोबार किया था.
अब देखना है कि अली अब्बास ज़फर की कलम मूल कहानी
का कैसे भारतीयकारन करती है. फिल्म के ट्रेलर और प्रमोशनल विडियो में कुछ
महत्वपूर्ण दृश्य जस के तस दिख रहे हैं. इस फिल्म में नायक बहरत के बंटवारे से छह
दशकों का सफ़र तय करता है. ‘भारत’ में सलमान खान को पांच उम्र के छह लुक दिए गए
हैं. परदे पर सलमान की मौजूदगी आकर्षक होती है,लेकिन क्या वे किरदार की उम्र की
भिन्नता को सही अंदाज और आवाज़ दे पाएंगे? इस फिल्म कट्रीना कैफ और दिशा पटनी के
उपयोग के लिए कुछ गाने भी रखे गए हैं. हिंदी फिल्म है तो प्रेम कहानी का होना
लाजिमी है. ऐसे में कतई ज़रूरी नहीं है ‘भारत’ मूल को फॉलो करे,लेकिन यह उम्मीद तो
रहेगी ही कि यह मूल की तरह ही भावनाओं का उद्रेक कर सके. साथ ही बंटवारे के दर्द
में जी रहे किरदारों की तकलीफ भी जाहिर कर सके. अली अब्बास ज़फर का दावा है कि उनकी
टीम ने गहरे शोध और अध्ययन से पीरियड क्रिएट किया है. अधिकतम प्रामाणिक होने की
कोशिश की है. फिल्म देखने के पहले किसी प्रकार की अशंक नहीं की जानी चाहिए. उम्मीद
है कि अली अब्बास ज़फर ने ऐसी कहानी के लिए ज़रूरी परिपक्वता बरती होगी और सलमान खान
की पूरी सहमती रही होगी.
सचमुच ‘भारत’ कोरियाई फिल्म ‘ओड टू माय फत्दर’ के
करीब हुई तो यह हिंदी की एक उल्लेखनीय फिल्म साबित होगी.
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