सिनेमालोक : अब समीक्षकों की संस्था देगी पुरस्कार
सिनेमालोक
अब समीक्षकोंकी संस्था देगी पुरस्कार
-अजय ब्रह्मात्मज
देश में अनेक फिल्म पुरस्कार हैं. हर मीडिया हाउस के अपने पुरस्कार
हैं.इनके अलावा स्थानीय और राष्ट्रीय स्टार पर कुछ समोह्ह या संगठन भी फिल्म
पुरस्कार बाँटते हैं. इनमे सबसे अधिक सम्माननीय भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण
मंत्रालय के अधीन दिया जाने वाल राष्ट्रीय पुरस्कार है.यह पुरस्कार देश भर की
फ़िल्मी गतिविधियों में से श्रेष्ठ कृति और व्यक्ति को दिया जाता है. कतिपय विवादों
के बावजूद इस पुरस्कार की खास प्रतिष्ठा है. मुंबई में मैंने देखा है कि कलाकार और
फ़िल्मकार अपने दफ्तर और बैठकी में इसे फ्रेम करवा कर रखते हैं. निश्चित ही यह उनके
लिए गर्व और दिखावे की बात होती है.
ज्यादातर फिल्म पुरस्कार टीवी इवेंट बन चुके हैं. इन पुरस्कारों के
स्पोंसर और आयोजकों की रुचि श्रेष्ठ काम से अधिक लोकप्रिय नाम में होती है, इसके अलावा फिल्म के
कारोबार को भी मद्देनज़र रखा जाता है. नतीजा यह होता है कि श्रेष्ठ काम और नाम
पुरस्कृत नहीं हो पाते. इन पुरस्कारों की मर्यादा इतनी गिर चुकी है कि कुछ
शीर्षस्थ फ़िल्मकार और कलाकार इसमें भाग ही नहीं लेते. उनके बहिष्कार से ज्यादा
फर्क नहीं पड़ता. ये पुरस्कार बदस्तूर चल रहे हैं. कलाकारों और फिल्मकारों को
मालोम्म रहता कि उन्हें ‘क्यों नहीं ' या ‘क्यों' पुरस्कार दिया जा रहा है? फोर भी वे ट्राफी के साथ माकली मुस्कान
में नज़र आते हैं. मंच से पुरस्कार मिलने की ख़ुशी जाहिर करते हैं.
इन पुरस्कारों में एक केटेगरी होती है ‘क्रिटिक' अवार्ड. यह प्रायः उन समर्थ कलाकारों और
फिल्मों को दिया जाता है,जिन्हें नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता. ऐसे सराहे गए कलाकारों को छोड़ने
पर पुरस्कार कि विश्वसनीयता पूरी तरह से संदिग्ध हो जाती है. फिल्म बिरादरी में
इसे सांत्वना पुरस्कार भी माना जाता है. मुख्य केटेगरी से बाहर खड़े कद्दावर
सृजनशील नाम और काम को मजबूरन तवज्जो देने की कोशिश साफ़ दिखती है. ‘क्रिटिक' पुरस्कार धीरे-धीरे
अपनी महत्ता खो चूका है.
ई साल से एक नया पुरस्कार आरम्भ हो रहा है. इसे ‘क्रिटिक चॉइस फिल्म
अवार्ड'(सीसीएफए) नाम दिया गया है. यह देश भर के फिल्म क्रिटिक की नवगठित
संस्था ‘फिल्म क्रिटिक गिल्ड' द्वारा आरम्भ किया गया है. पिछले साल
गिल्ड ने शोर्ट फिल्म के पुरस्कारों के बाद फीचर फिल्मों के लिए भी पुरस्कारों कि
घोषणा की है. यह पुरस्कार इसी हफ्ते 21 अप्रैल को मुंबई में प्रदान किया
जायेगा. आयोजन से पहले ही इसे लेकर उत्सुकता बनी हुई है. इसके नॉमिनेशन कि घोषणा
के लिए आई विद्या बालन ने कहा था कि यह देश का विश्वसनीय पुरस्कार होगा. निस्संदेह
उनके इस बयां में सच्चाई है. उनके साथ आई जोया अख्तार भी यही मानती हैं.
फ़िलहाल फिल्म क्रिटिक गिल्ड के 34 सदस्य हैं. ये सभी सालों से फिल्म
समीक्षा करते आ रहे हैं.पत्र-पत्रिकाओं से आगे बढ कर ऑनलाइन,वेब,ब्लॉग और अन्य
प्लेटफार्म के जरिये वे अपनी समीक्षाएं और टिप्पणियां प्रकाशित करते रहे हैं. ये
सारे समीक्षक अपने दायरे में लोकप्रिय और प्रशंसित हैं. इनमें से 27 समीक्षक हिंदी
फिल्मों की नियमित समीक्षा करते हैं. इरादा है कि इस पुरस्कार का अखिल भारतीय
स्वरुप हो. इस साल समय और संसाधनों की कमी से केवल हिंदी में सभी केटेगरी के
अवार्ड दिए जायेंगे. बाकि हिंदी के अलावा देश की अन्य सात भाषाओं की सर्वश्रेष्ठ
फिल्म को पुरस्कृत किया जायेगा. कोशिश है कि अगले साल से उन भाषाओं में भी सारे
पुरस्कार दिए जाएँ.
पुरस्कारों की गिरती गरिमा के बीच देश भर के चुनिन्दा समीक्षकों का
यह प्रयास सराहनीय है.
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