सिनेमालोक : हिंदी फिल्मों की पहली तिमाही


सिनेमालोक : हिंदी फिल्मों की पहली तिमाही
-अजय ब्रह्मात्मज
2019 के तीन महीने बीत गए. इन तीन महीनों में 30 से अधिक फ़िल्में रिलीज़ हुई हैं. कामयाबी और कलेक्शन के लिहाज से बात करें तो नतीजे बुरे नहीं दिख रहे हैं. कुछ फिल्मों की कामयाबी और कलेक्शन ने चौंकाया है. जनवरी से मार्च के बीच रिलीज़ फिल्मों में अभी तक किसी फिल्म ने उम्मीदों पर पानी नहीं फेरा है. ऐसी कोई फिल्म आई भी नहीं है,जिसका प्रचार बहुत ज्यादा हो. लोकप्रियता के ऊपरी पायदान पर बैठे सितारों की फ़िल्में नहीं आई हैं,इसलिए कोई ज़ोरदार झटका नहीं लगा है. इस लिहाज से अगली तिमाही में सलमान खान और रितिक रोशन की फ़िल्में आएंगी तो फिर सफलता और निराशा पर नए सिरे से बातें होंगी.
जनवरी के पहले हफ्ते में हिंदी फ़िल्में नहीं रिलीज़ करने का अंधविश्वास चला आ रहा है. माना जाता है कि पहले हफ्ते में रिलीज़ हुई फ़िल्में बिलकुल नहीं चल पातीं. इस साल भी यही हुआ,लेकिन दूसरे हफ्ते में 11 जनवरी को आई ‘उडी : द सर्जिकल स्ट्राइक’ ने तो कामयाबी के नए रिकॉर्ड बना कर विकी कौशल को स्टारडम की अगली कतार में ला दिया. इस फिल्म ने भारत में 244 करोड़ का कारोबार कर लिया है. भारत-पाकिस्तान तनाव और स्ट्राइक के दौर में सेना के जोश और देशभक्ति की भावना से भरपूर फिल्म को दर्शकों ने पसंद किया. ऊपर से प्रधानमंत्री ने फिल्म के संवाद ‘हाउ इज द जोश’ को सार्वजनिक मंचों से दोहरा कर फिल्म को एंडोर्स कर दिया. अक्षय कुमार की ‘केसरी’ के प्रति भी दर्शकों की देशभक्ति का ऐसा ही जोश दिखा,जबकि यह फिल्म इतिहास को एक निरपेक्ष सन्दर्भ देकर पेश करती है. सिखों की बहादुरी का बेबुनियाद ढोल पीटा गया. अब इतिहासकार और टिप्पणीकार सवाल उठा रहे हैं कि उनकी बहादुरी का उद्देश्य क्या था?
बहरहाल,पहली तिमाही में चार फिल्मों ने 100 करोड़ से अधिक का कारोबार किया.. ‘उड़ी : द सर्जिकल स्ट्राइक’ के अलावा ‘टोटल धमाल’(155 करोड़ ), ‘गली बॉय’( 139 करोड़) और ‘केसरी’( 134 करोड़) ने 100 करोड़ से ज्यादा का कारोबार किया. ‘टोटल धमाल’ में 50 और उससे अधिक उम्र के सारे कलाकार और निर्देशक थे. फिल्म की कॉमेडी भी लतीफों पर आधारित पुरानी किस्म की थी,लेकिन दर्शक लहालोट हो रहे थे. फिल्म में द्विअर्थी संवाद नहीं होने की दुहाई दी गयी और फैमिली दर्शकों को लुभाया गया. उनकी रणनीति काम आई.’गली बॉय’ मुंबई शहर की मलिन बस्ती के युवक की महत्वाकांक्षा को जोया अख्तर ने हिप-हॉप संगीत के सहारे पकड़ा और पेश किया. इस फिल्म में रणवीर सिंह और आलिया भट्ट की जोड़ी युवा दर्शकों को पसंद आई.’केसरी’ सिखों के शौर्य और बहादुरी के सहारे सफल रही. चारों 100 करोड़ी फिल्मों के साथ ‘मणिकर्णिका’(94 करोड़),’लुका छुप्पी’(92 करोड़) और ‘बदला’(83 करोड़) भी दर्शकों को पसंद आई हैं. कंगना रनोट,कार्तिक आर्यन,कृति सैनन और तापसी पन्नू के स्टारडम में इजाफा हुआ.
पहली तिमाही में कुछ कंटेंट प्रधान फ़िल्में भी आयीं. हालाँकि ऐसा लग रहा है कि सीमित बजट के स्वतंत्र सिनेमा का दौर समाप्त हो गया है, लेकिन ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’,’हामिद’,’फोटोग्राफ’.’मर्द को दर्द नहीं होता’ और ‘सोनचिड़िया’ जैसी फिल्मों को मिली सराहना से जाहिर हुआ कि दर्शक प्रयोगात्मक और नए विषयों कि फ़िल्में भी पसंद करने लगे हैं. मल्टीप्लेक्स के दौर में छोटी और सीमित बजट की फिल्मों की यह समस्या गहरी होती जा रही है कि उनके शो कैसे निर्धारित किये जाएँ कि अपेक्षित दर्शक आनंद उठा सकें. इन सभी फिल्मों को मल्टीप्लेक्स में प्राइम शो मिलते तो कमाई का आंकड़ा भी ऊपर जाता.
पहली तिमाही में रिलीज़ हुई 30 से अधिक फिल्मों में से अधिकांश फ़िल्में असफल रहीं और दर्शकों की नज़र में भी नहीं आयीं. गौर करें तो सफल-असफल फिल्मों का अनुपात और प्रतिशत ऐसा ही रहता है. पहली तिमाही में सात फिल्मों को सफल माना जा सकता है. यह अच्छा अनुपात है.

Comments

Parimal Ghosh said…
बहुत बढ़िया लिखा है आपने, ऐसे ही लिखते रहे।
This blog is a fascinating one and it induces me to know more about it. Thanks for the sharing.
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