सिनेमालोक : सही फैसला है कंगना का
सिनेमालोक
सही फैसला है कंगना का
-अजय ब्रह्मात्मज
तीन दिनों पहले कंगना रनोट के जन्मदिन पर ‘जया’
फिल्म की घोषणा हुई. इसे तमिल में ‘थालैवी’ और हिंदी में ‘जया’ नाम से बनाया जा
रहा है. निर्देशक हैं विजय और इसे लिख रहे हैं केवी विजयेंद्र प्रसाद. ‘बाहुबली’
के विख्यात लेखक ने ही कंगना रनोट की पिछली फिल्म ‘मणिकर्णिका’ लिखी थी. यह फिल्म
तमिल फिल्मों की अभिएत्री और तमिलनाडु की भूतपूर्व मुख्यमंत्री जयललिता का बायोपिक
है. इस फिल्म की घोषणा के साथ कंगना ने जाहिर किया है कि अब वह अपनी बायोपिक पर
काम नहीं करेंगी.’मणिकर्णिका’ की रिलीज के समय कंगना ने बताया था कि वह अपनी
आत्मकथा सेल्यूलाइड पर पेश करना चाहती हैं. इसे वह खुद ही लिखना और निर्देशित करना
चाहती थीं.हिंदी फिल्मों के इतिहास में अपने ढंग का यह पहला प्रयास होता.
फ़िलहाल कंगना रनोट ने इरादा बदल दिया है. और यह
सही किया.कंगना अपने करियर के उठान पर हैं. अभी उन्हें आने ऊंचाइयां और उपलब्धियां
हासिल करनी हैं.लम्बे अपमान,तिरस्कार और संघर्ष के बाद वह यहाँ तक पहुंची हैं.आगे
का रास्ता फिलहाल आसन नहीं दिख रहा है,क्योंकि फिल्म इंडस्ट्री के कथित ताकतवर
बिरादरी और लॉबी खुले दिल से उन्हें स्वीकार नहीं कर रही है.विरोध जारी है,लेकिन
कंगना के साथ दर्शकों का एक समूह है.वह कंगना को पसंद करने के साथ उनकी कामयाबी भी
चाहता है.कंगना के बडबोलेपन और पंगा लेने की आदत को नज़रअंदाज कर दें तो उनकी
प्रतिभा संदेह से परे है. वह कुछ नया और बेहतर करना चाहती हैं.’जया’ फिल्म के
सन्दर्भ में उन्होंने कहा कि मैं तो अपनी बायोपिक(आत्मकथा) पर काम कर रही थी.इसी
बीच ‘जया’ की कहानी सुनाने पर वह मुझे अपने जीवन सदृश और करीब लगी.हमारी ज़िन्दगी
में अनेक समानताएं हैं.हाँ,उनकी उपलब्धिया मुझ से बड़ी हैं.
कंगना को इस फिल्म के लिए 24 करोड़ का पारिश्रमिक
मिलेगा. ‘जया’ फिल्म की घोषणा के साथ यह खबर भी आई है.इस खबर की आधिकारिक पुष्टि
नहीं हुई है और ना ही कंगना की तरफ से कोई खंडन आया है.यकीन किया जा सकता है कि एस
ही होगा. ‘मणिकर्णिका’ की कामयाबी क पूरा श्री कंगना को मिलना चाहिए.प्रतिकूल
स्थितियों में वह फिल्मों को दर्शकों के बीच ले गयीं. फिल्म के कथ्य और प्रस्तुति
से मैं असहमत हूँ,लेकिन कंगना की मेहनत और सफलता कैसे भूली जा सकती है. और फिर
समकालीन अभिनेत्रियों के बीच वह अकेली ऐसी अभिनेत्री के तौर पर उभरी हैं जो किसी
पॉपुलर स्टार का टेक लिए बगैर छलांग लगा रही है. यह दुर्लभ है.
अभी तक मन जा रहा था कि दीपिका पादुकोण सर्वाधिक
पारिश्रमिक पाने वाली अभिनेत्री हैं. उन्हें ‘पद्मावत’ के लिए रणवीर सिंह और शहीद
कपूर से अधिक राशी बतौर पारिश्रमिक मिली थी...13 करोड़. करीना कपूर खान को ‘वीरे दी
वेडिंग’ के लिए 10 करोड़ दिए गए थे.पारिश्रमिक के लिहाज से भी कंगना ने अपने
समकालीनों को बहुत पीछे छोड़ दिया है. अब यह देखना होगा कि दूसरी अभिनेतरियां कितनी
तेज़ी से कंगना के करीब पहुँचती हैं.दीपिका अपनी अगली फिल्म ‘छपाक’ में निर्माता बन
गयी हैं.वह अभिनेताओं की तरह प्रॉफिट शेयरिंग के समीकरण में चली गयी हैं. इससे
फिल्म चलेगी और कमाएगी तो उन्हें भारी लाभ होगा.
बस,कंगना रनोट का विचलन कई बार चिंतित करता है.वह
आवेश में अनावश्यक बयानबाज़ी कर जाती हैं.उन्हें थोडा सचेत रहना चाहिए.अपने
राजनीतिक विचारों का भी मंथन करना चाहिए.भावावेश में कुछ भी बोलना गलत सन्देश देता
है.हालांकि समाज और देश की उनकी समझ बढ़ी है,लेकिन राजनीतिक स्पष्टता आणि बाकि
है.ऐसा लगता है कि वह किसी खास दिशा में झुक रही हैं और वह उनके व्यक्तित्व की तरह
प्रगतिशील नहीं है.
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