सिनेमालोक : राधिका आप्टे
सिनेमालोक
राधिका आप्टे
-अजय ब्रह्मात्मज
पिछले दिनों ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफार्म नेटफ्लिक्स
ने एक ट्विट किया कि ‘अंधाधुन की स्ट्रीमिंग चल रही है.यह इसलिए नहीं बता रहे हैं
कि इसमें राधिका आप्टे हैं,लेकिन हाँ इसमें राधिका आप्टे हैं.’ इस ट्विट की एक वजह
है.कुछ महीने पहले सोशल मीडिया पर मीम चल रही थी और दर्शक सवाल कर रहे थे कि
नेटफ्लिक्स के हर हिंदी प्रोग्राम में राधिका आप्टे ही क्यों रहती है? संयोग कुछ
ऐसा हुआ कि ‘लस्ट स्टोरीज’,’सेक्रेड गेम्स’ और ‘गुल’ में एक के बाद एक राधिका
आप्टे ही दिखीं.मान लिया गया है कि डिजिटल शो में राधिका का होना लाजिमी है.
करियर के लिहाज से देखें तो राधिका आप्टे की पहली
फिल्प्म 2005 में ही आ गयी थी.उन्होंने महेश मांजरेकर के निर्देशन में ‘वह लाइफ हो
तो ऐसी’ फिल्म की थी,जिसमे शहीद कपूर और अमृता राव मुख्या भूमिकाओं में थे.उस
फिल्म की आज किसी को याद भी नहीं है.हिंदी,बंगाली मराठी और तेलुगू फिल्मों में
छोटी-मोटी भूमिकायें करने के बाद एक तरीके से ऊब कर राधिका लंदन चली गयीं.वहां
उन्होंने कंटेम्पररी डांस सीखा.वहीँ उनके लाइफ पार्टनर बेनेडिक्ट टेलर भी मिल
गए.कुछ समय तक लीव इन रिलेशनशिप में रहने के बाद दोनों ने शादी कर ली.राधिका के
प्रशंसक उनके पति को नहीं पहचानते,क्योंकि वह राधिका के आगे-पीछे डोलते नज़र नहीं
आते.शादी के बाद राधिका ने जिस तरह की बोल्ड फ़िल्में की हैं,वह शायद आम
हिन्दुस्तानी पति को गवारा नहीं होता.तमाम आज़ादी और और नारी स्वतंत्रता की बैटन के
बावजूद हिंदी फिल्मों की अभिनेत्रियों को शादी के बाद अघोषित दायरे में रहना पड़ता
है.
राधिका ने ऐसी कोई परवाह नहीं की.डांस और थिएटर
की ट्रेनिंग से उनकी एक्टिंग की नींव पुख्ता है.धीरे-धीरे दिख रहा है कि वह हर
किस्म और तबके के किरदारों को आसानी से निभा ले जाती हैं.उन्होंने ‘लस्ट स्टोरीज’
की तो ‘पैडमैन’ में घरेलू महिला की भी भूमिका निभाई.इसके पहले उन्हें ‘माझी-द
माउंटेनमैन’ में भी हमने देखा था.राधिका के परफॉरमेंस में वैराइटी है.थोड़ी सी
दिक्कत उनके उच्चारण और संवाद अदायगी की है.हल्का सा मराठी टच होने से उनकी
भूमिकाओं का असर कम होता है.राधिका के दोस्तों और निर्देशकों को उन्हें हिंदी
उच्चारण सुधारने की सलाह देनी चाहिए.
राधिका के साथ सबसे अच्छी बात है कि वह किसी एक
भाषा या विधा से नहीं बंधी हैं. वह अंग्रेजी समेत 6-7 राष्ट्रीय बह्षाओं में काम
कर चुकी अहै और उन्होंने आगे के लिए भी खुद को हिंदी तक सीमित नहीं किया है.फीचर
के साथ शार्ट फिल्म और वेब सेरिज करने में भी उन्हें कोई गुरेज नहीं है.इं दिनों
शार्ट फिल्मों की काफी चर्चा है.राधिका आप्टे ने 2015 में सुजॉय घोष के साथ
‘अहल्या’ होर्त फिल्म की थी.तब कुछ आलोचकों ने समझा और लिखा था कि फिल्मों में
राधिका का करियर समाप्त सा हो गया है,इसलिए वह शार्ट फाइलों की ओर मुड़ गयी हैं.अब
पलट कर देखें तो वह पायनियर जान पड़ती हैं.उन्होंने भांप लिया था कि आने वाला समय
शार्ट फिल्म और वेब सीरिज का है.
इस सन्दर्भ में अनुराग कश्यप औr विक्रमादित्य
मोटवानी की ‘सेक्रेड गेम्स’ में राधिका आप्टे की भूमिका की बहुत चर्चा हुई.वह और
भी वेब सीरिज कर रही हैं.लगातार दिखने से भी फिल्म एक्टर दर्शकों को खटकने लगते
हैं.राधिका ने ‘बाज़ार’ जैसी फिल्मों में मामूली भूमिकाएं स्वीकार कर गलती ही की.इन
फिल्मों में ज्यादा कुछ करने की गुंजाईश नहीं होती.और फिर डायरेक्टर सक्षम नहीं हो
तो वह कलाकार को प्रेरित भी नहीं कर पाटा.राधिका के अभिनय में एकरसता नहीं
है,लेकिन उसके लिए बेहतरीन और कल्पनाशील डायरेक्टर की ज़रुरत है.और फिर हिंदी
फिल्मों में लोकप्रियता हासिल करने के लिए नाच-गाने वाली आकर्षक भूमिकाएं भी करनी
पड़ती हैं.राधिका का मिजाज ऐसी फिल्मों से मेल नहीं खता.यही उम्मीद की जा सकती है
कि इंडी सिनेमा के नए दौर में राधिका को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए कुछ
चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं मिलें. अगले साल पिया सुकन्या के निर्देशन में उनकी
‘बंबैरिया’ रिलीज होगी.
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