सिनेमालोक : ठगे गए दर्शक,लुट गए निर्माता
सिनेमालोक
ठगे गए दर्शक,लुट गए निर्माता
-अजय ब्रह्मात्मज
दीवाली के मौके पर रिलीज हुई ‘ठग्स ऑफ़ हिंदोस्तान’ ने पहले दिन ही 50
करोड़ से अधिक का कलेक्शन कर एक नया रिकॉर्ड बना दिया.फिर तीन दिनों में 100 करोड़
क्लब में फिल्म आ गयी. चार दिनों के वीकेंड में 123 करोड़ के कुल कलेक्शन की
विज्ञप्ति आ चुकी है.कमाई के इन पड़ावों के बावजूद ‘ठग्स ऑफ़ हिंदोस्तान’ के बारे
में आम धारणा बन चुकी है कि इस फिल्म को दर्शकों ने नापसंद कर दिया है.यह फिल्म
अपेक्षा के मुताबिक दर्शकों को लुभा नहीं सकी. नतीजतन फिल्म का कारोबार लगातार
नीचे की ओर फिसल रहा है.ट्रेड पंडित हैरान नहीं हैं.उनहोंने तो पहले दिन ही घोषणा
कर दी थी.उसके बाद शायद ही किसी समीक्षक ने फिल्म की तारीफ की हो.फिल्म देख कर
निकले दर्शक सोशल मीडिया और लाइव रिव्यू में फिल्म से निराश दिखे..
पहली बार तो ऐसा नहीं हुआ है,लेकिन
हाल-फिलहाल की यह बड़ी घटना है जब किसी फिल्म ने दोनों पक्षों को निराश किया.’ठग्स
ऑफ़ हिंदोस्तान’ की घोषणा के समय से दर्शकों की उम्मीदें अमिताभ बच्चन और आमिर खान
की जोड़ी से बंध गयीं.हिंदी फिल्मों के सन्दर्भ में यह बड़ी घटना है.दो पीढ़ियों के
लोकप्रिय अभिनेताओं के साथ आने से यह आस बनी थी कि परदे पर परफारमेंस बिजली चमकेगी
और संवाद अदायगी के बादल गरजेंगे.यशराज फिल्म्स के बैनर में बन रही कॉस्टयूम और
पीरियड फिल्म के निर्माण में हो रहे भारी खर्च से भव्य मनोरंजन(बाहुबली किस्म का)
का अंदाजा था.ऊपर से ‘धूम 3’ के
निर्देशक विजय कृष्ण आचार्य के हाथों में कमान होने से लग रहा था कि पिछली फिल्म
के जैसा ही कुछ रोचक ड्रामा दिखेगा.’धूम 3’ में भी आमिर खान और कट्रीना कैफ
थे.पहले दिन इन उम्मीदों की वजह से ही दर्शक उमड़े,लेकिन सारी उम्मीदें धरी रह गयीं.आम दर्शक और खास समीक्षक दोनों ही
थिएटर से निराश निकले और देखते ही देखते सोशल मीडिया पर निगेटिव टिपण्णी,कटाक्ष,वीडियो और मीम का ताँता लग गया.हर तरफ
से फिल्म की बुराई होने लगी.
फिल्म में अमिताभ बच्चन हैं,लेकिन
यह फिल्म आमिर खान की है.पिछली कुछ फिल्मों(पीके,दंगल,सीक्रेट सुपरस्टार आदि) की सफलता का सेहरा.आमिर
खान के माथे बंधता रहा है,इसलिए असफलता का ठीकरा भी उनके माथे
फूटा है.यह सही भी है.जानकारों के मुताबिक आमिर खान ने फिल्म के लिए हाँ कहने के
बाद पूरी स्क्रिप्ट फिर से लिखवाई.ऐसा कहा और माना जाता है कि आमिर खान का
स्क्रिप्ट सेंस जबरदस्त है.उनसे कोई चूक नहीं होती.ऐसे में उनके सुझाओं को तरजीह
दी जाती है.फिल्म के लेखन से लेकर एडिटिंग तक में आमिर खान की सक्रिय भागीदारी
रही.अन्य फिल्मों की तरह ही इस फिल्म में भी आमिर खान इन्वोल्व रहे.उन्होंने ही
फिल्म को वह रंग और शेप दिया,जो
दर्शकों के बीच आया.विजय कृष्ण आचार्य फिल्म के निर्देशक और कप्तान हैं,लेकिन फिल्म के कोच आमिर खान हैं.उन्होंने ने
ही फिल्म की विधि और रणनीति तय की.फ़िल्में असफल होती हैं तो मुख्या सितारे खामोश
हो जाते हैं.यही ‘ठग्स ऑफ़ हिंदोस्तान’ के साथ हो रहा है.
फिल्म के शीर्षक से भ्रांति बढ़ी.सभी को यही लग रहा था कि यह फिल्म
18-19वीं सदी में सक्रिय और अंग्रेजों के सिरदर्द बने ठगों पर आधारित होगी.बहुत
बाद में आमिर खान ने बताना शुरू किया कि यह ठगों की प्रचलित कहानी पर आधारित नहीं
है.विजय कृष्णा आचार्य ने काल्पनिक कहानी लिखी है और एक फंतासी गढ़ी है.लगातार
अंग्रेजी फ़िल्में देख रहे दर्शक और समीक्षक फिल्म की प्रस्तुति,किरदारों के गठन,लुक और निर्वाह,सेट
और सजावट में विदेशी फिल्मों की झलक देखते-खोजते रहे.शहरों के एक बड़े तबके को ऐसा
लगता है कि फिल्म का वीएफ़एक्स साधारण कोटि का है.इन दिनों नेटफ्लिक्स और दूसरे
लाइव स्ट्रीमिंग प्लेटफार्म पर सभी देशों की बेहतरीन फ़िल्में उपलब्ध हैं.तकनीक के
स्तर पर अब कोई भी कोताही झट से पकड़ी जाती है.हिंदी फिल्मों के युवा निर्देशक
फिल्मों में भारतीय इमोशन लाने में विफल हो रहे हैं.इस फिल्म के किरदारों में
भावनात्मक आवेग नदारद है.संबंधों का गाढ़ापन नहीं है.अधिकांश युवा निर्देशक भारतीय
फिल्मों की मेकिंग,शैली और परंपरा से खुद को अलग कर
आधुनिक होने की कोशिश में ‘ठग्स ऑफ़ हिंदोस्तान’
जैसी गलतियाँ कर रहे हैं.
‘ठग्स ऑफ़ हिंदोस्तान’
अपनी लागत और भव्यता की वजह से नुकसान में है. अब एक ही उम्मीद बची है कि अगर यह
फिल्म चीन में दर्शकों को पसंद आये तो आंकड़े और कमाई में थोड़ी बढ़त हो जाए.आमिर खान
की फ़िल्में चीन में अच्छा कारोबार करती रही हैं.
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