सिनेमालोक : क्या बिखर रहा है अमिताभ बच्चन का जादू?
सिनेमालोक
क्या बिखर रहा है अमिताभ बच्चन का जादू?
-अजय ब्रह्मात्मज
दिवाली के मौके पर रिलीज हुई ‘ठग्स ऑफ़ हिंदोस्तान’ को
दर्शकों ने नापसंद कर दिया.सोशल मीडिया को ध्यान से पढ़ें तो फिल्म की असफलता का
ठीकरा आमिर खान के माथे फूटा.यह स्वाभाविक है,क्योंकि
आज की तारिख में आमिर खान अधिक सफल और भरोसेमंद एक्टर-स्टार हैं.उनकी असामान्य
फ़िल्में भी अच्छा व्यवसाय करती रही हैं.अपनी हर फिल्म से कमाई के नए रिकॉर्ड
स्थापित कर रहे आमिर खान ने दर्शकों की नापसंदगी के बावजूद दीवाली पर रिलीज हुई
सबसे अधिक कलेक्शन का रिकॉर्ड तो बना ही लिया.इस फिल्म को पहले दिन 50 करोड़ से
अधिक का कलेक्शन मिला.
फिल्मों की असफलता का असर फिल्म से जुड़े कलाकारों के भविष्य पर पड़ता
है. इस लिहाज से ‘ठग्स ऑफ़ हिंदोस्तान’ के कलाकारों में आमिर खान के चमकते करियर को
अचानक ग्रहण लग गया है और फातिमा सना शेख को दूसरी फिल्म में बड़ा झटका लगा है. अमिताभ
बच्चन महफूज़ रहेंगे.अपनी दूसरी पारी की शुरुआत से ही खुद की सुरक्षा में अमिताभ
बचचन ने इंटरव्यू में कहना शुरू कर दिया था कि अब फिल्मों का बोझ मेरे कन्धों पर
नहीं रहता.उनकी इस सफाई के बावजूद हम जानते हैं कि उन्हें ध्यान में रख कर
स्क्रिप्ट लिखी जा रही हैं.जिस फिल्म में भी वे रहते हैं,उसमें उनकी खास भूमिका होती है.फिल्म की
सम्भावना और कामयाबी में उनकी भी शिरकत होती है.अगर ‘ठग्स ऑफ़ हिन्दोस्तान’ नहीं चली है तो यह मान लेना चाहिए कि अमिताभ
बच्चन भी नहीं चले हैं.
‘ठग्स ऑफ़ हिंदोस्तान’ देख कर निकले अमिताभ बच्चन के प्रशंसक फ़िल्मकार
की टिपण्णी ठ,’अमित जी थक गए हैं.थकान उनके चेहरे पर
दिखने लगी है.’ फ़िल्मकार की आवाज़ में उदासी थी.अपने प्रिय अभिनेता के लिए यह चिंता
वाजिब है.अमिताभ बच्चन 76 की उम्र में भी किसी युवा अभिनेता से अधिक सक्रिय
हैं.उन्हें फ़िल्में मिल रही हैं. फिल्मों के साथ विज्ञापन मिल रहे हैं. उद्घाटन और
समरोहों में आज भी उन्हें खास मेहमान के तौर पर बुलाया जा रहा है.मज़ेदार तथ्य है
कि वे सभी को उपकृत भी कर रहे हैं.अपने ब्लॉग और ट्विटर पर अनेक दफा वह बता और लिख
चुके हैं कि देर रात को सोने जा रहे हैं और सुबह जल्दी ही उन्हें काम पर जाना
है.दैनिक जीवन में कर्मयोगी दिख रहे अमिताभ बच्चन पहले की तरह स्वस्थ नहीं हैं.वे
कई बीमारियों के रोगी हैं.उन्हें बेहतर आराम और देखभाल की ज़रुरत है,लेकिन वे किसी भी आम भारतीय परिवार के जिद्दी
बुजुर्ग की तरह व्यवहार कर रहे हैं.बिखर रहे हैं.
‘ठग्स ऑफ़ हिंदोस्तान’ और उसके पहले की कुछ फिल्मों में अब यह दिखने
लगा है कि उनकी प्रतिक्रिया विलंबित होती है.उम्र बढ़ने के साथ प्रतिक्रियाओं,बोलचाल और गतिविधि में शिथिलता आती है.वह अब
परदे पर दिखने लगी है.दूसरे कलाकारों के साथ के दृश्यों में इसकी झंलक मिलती
है.सीधे शब्दों में कहें तो अपने अभिनय में तत्परता के लिए मशहूर अमिताभ बच्चन
दृश्यों में तीव्रता और आवेग खो रहे हैं.’कौन बनेगा करोडपति’ में भी यह शिथिलता जाहिर हो रही है.हिंदी भाषा
के उच्चारण और व्याकरण के लिए विख्यात अमिताभ बच्चन की पकड़ भाषा पर छूट रही
है.उनकी हिंदी पिछली सदी के एक दशक विशेष की है और कुछ शब्दों को वे गलत ‘अर्थ’ में प्रयोग करते हैं.पिछले साल मामी फिल्म
फेस्टिवल में उन्होंने ‘निरर्थक’
शब्द का उपयोग ‘प्रयास’ के साथ ‘सार्थक’ सन्दर्भ में किया था...अन्य अवसरों पर भी
चूकें हो रही हैं.निस्संदेह हिंदी का उनका उच्चारण अधिकांश अभिनेताओं से बेहतर है,लेकिन शब्दों के अर्थ और प्रयोग में वे छोटी
भूलें करने लगे हैं.स्क्रिप्ट सामने रहने पर गलतियाँ कम होती हैं.खुद बोलते समय वे
आज की हिंदी की चाल में नहीं आ पाते.
प्रशंसक होने के नाते अमित जी की प्रतिभा की आभा के सीमित होने का
उल्लेख करते हुए मन में विषाद घना हो रहा है,लेकिन
समय का चक्र ऐसे ही चलता है.यही सच्चाई है कि दिन ढलने के साथ सूरज भी ढलता
है.अस्ताचल होता है.
Comments