सिनेमालोक जान्हवी और ईशान को लेकरT करण जौहर परेशान
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जान्हवी और ईशान को ्लेकर करण जौहर परेशान
- अजय ब्रह्मात्मज
शुक्रवार 19 जुलाई से आज तक सोशल मीडिया पर ‘धड़क’ के बारे में जितना लिखा गया है,उतना हाल-फिलहाल में किसी और फ़िल्म के लिए नहीं लिखा गया। कारण जौहर ने लीड ले रखा है। सिर्फ उनके ट्वीट हैंडल पर नज़र डालें तो पाएंगे कि चार दिनों में उन्होंने सबसे ज्यादा ट्वीट किए। उन्होंने फिल्म की छोटी और संक्षिप्त तारीफों को भी रिट्वीट कर बाद और विस्तृत बना दिया है। यूँ लग रहा है कि फिलहाल ‘धड़क’ के अलावा मनोरंजन जगत में कुछ नहीं हो रहा है। फ़िल्म पत्रकार,समीक्षक,डेस्क राइटर,कंटेंट क्रिएटर और फ़िल्म पंडित सभी तारीफ करने और जानकारी देने में एक-दूसरे को धकिया रहे हैं।कारण उनकी धकमपेल के मज़े ले रहे है। वे खुश और परेशान है। खुश इसलिए हैं कि फ़िल्म ध्येय और आशा के अनुरूप कमाई कर रही है। परेशान इसलिए हैं कि फ़िल्म की कमाई बढ़े। पहली ही फ़िल्म से जान्हवी और ईशान स्थापित हो जाएं।
करण जौहर कुशल संरक्षक और बेशर्म प्रचारक हैं। वे अपने कलाकारों से बेइंतहा प्यार करते हैं। उनका जम कर प्रचार करते हैं। उनकी आक्रामकता प्रभावित करती है। ‘धड़क’ और जान्हवी व ईशान का ही प्रसंग लें। इस फ़िल्म की घोषणा के समय से उन्होंने इसके बारे में लिखना और बोलना शुरू कर दिया। खुद की कोशिश और अपनी टीम की मदद से उन्होंने फिल्म और कलाकारों को निरंतर चर्चा में रखा। इसके पहले ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ के समय वरुण धवन,आलिया भट्ट और सिद्धार्थ मल्होत्रा को भी उन्होंने ऐसे ही पेश किया था। सही मायने में वे स्टारमेकर हैं। इस बार भी वे अपने ध्येय में सफल दिख रहे हैं।
फ़िल्म का विधिवत प्रचार आरम्भ करने के पहले उन्होंने खुद जान्हवी का इंटरव्यू किया और हाई ब्रो पत्रिका ‘वोग’ में छपवा कर संभावित इंटरव्यू का टोन सेट कर दिया। उन्होंने सवाल भी दे दिए। लकीर के फकीर फ़िल्म पत्रकार को अलग और अतिरिक्त मेहनत करने की आदत और ज़रूरत समाप्त हो रही है। इन दिनों तो पीआर द्वारा भेजी गई खबरें और रपटें शब्दशः छाप दी जाती हैं और पत्रकार बायलाइन लेने में भी नहीं हिचकते। हमें यह बात भी मान लेना चाहिए कि जान्हवी की माँ श्रीदेवी के आकस्मिक निधन से उपजी सहानुभूति भी मिली। यहां तक की रिव्यू में में अनेक समीक्षकों ने एक पैराग्राफ माँ-बेटी के संबंधों के बारे लिखा। उनके अभिनय के बारे में बताते समय ग्रेस शब्द दिए गए। कमियों के ज़िक्र नहीं किया गया।
हमें स्वीकार कर लेना चाहिए कि बड़े बैनर की फिल्मों के प्रति सभी का रवैया पॉजिटिव और तारीफ का रहता है। गुण खोजे जाते हैं और नए विशेषणों के साथ उनके बारे में लिखा जाता है। ‘धड़क’ अपेक्षाकृत बेहतर व्यवसाय कर रही है। ट्रेड पंडित बात रहे हैं कि यह फ़िल्म कौन से नए रिकॉर्ड बना रही है। भक्त और श्रद्धालु उसे मेनस्ट्रीम मीडिया और सोशल मीडिया पर दोहरा रहे हैं। फ़िल्म बिरादरी के सारे सदस्य कारण जौहर की विरुदावली में लगे हैं। उन्हें अपना और अपने बच्चों के भविष्य के लिए समर्थ पारखी और सारथी करण जौहर के रूप में दिख रहा है। मुमकिन है करण सब कुछ समझते हों और इस पाजिटिविटी का लाभ उठा रहे हों। यह भी संभव है कि वे धृतराष्ट की तरह सब कुछ स्वाभाविक मान रहे हों। अपनी अपेक्षाओं को पूरा होते देख इतरा रहे हों। भविष्य तय करेगा कि उन्होंने यह सब अच्छा किया या बुरा? फिलहाल सभी ‘धड़क’ के बारे में लिख रहे हैं।यह कॉलम भी तो इसी संबंध में है।
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