सफलता के इंतजार में रणबीर कपूर - दिलीप कुमार कापसे

फेसबुक पर दिलीप का यह आलेख रोचक और सटीक लगा,इसलिए चवन्नी के पाठक पढ़ लें.

सफलता के इंतजार में रणबीर कपूर
 - दिलीप कुमार कापसे 

एक बड़ी सफलता का इंतज़ार कर रहे रणबीर कपूर की 'संजू' को रिलीज होने में महज़ हफ़्ते भर का वक़्त बचा है। 'बेशरम', 'बॉम्बे वेल्वेट' और फिर 'जग्गा जासूस' जैसे हादसों ने रणबीर के बैंकेबल स्टार होने के भरोसे को तोड़ा है। उनके प्रतिद्वंदी रणवीर सिंह इस वक़्त सफलता के घोड़े पर सवार हैं और निजी तथा व्यवसायिक दोनों ही जगहों पर उनसे इक्कीस साबित हुए हैं। रणवीर की मौजूदा लोकप्रियता रणबीर पर बहुत भारी है। किसी दौर में बड़ी रफ़्तार से कामयाबी की ओर बढ़े रणबीर के लिए ये वक़्त बेहद अहम है। उनकी रूमानी तबीयत में एक बार फिर उछाल आया है और बेहद प्रतिभाशाली और ख़ूबसूरत अभिनेत्री आलिया भट्ट के साथ उनका रिश्ता मीडिया में सुर्खियां बटोर रहा है। इस रिश्ते का भविष्य क्या होगा ये कोई नहीं जानता, क्योंकि अपनी अभिनेत्रियों से दिल लगा लेने की रणबीर की पुरानी आदत रही है। दीपिका से होकर कटरीना जैसी सुपर सितारा अभिनेत्रियों के साथ उनके प्रेम संबंध रहे हैं और हर जगह पर उन्होंने ख़ुद अपने कदम वापिस खींच लिए हैं।
संजय दत्त के जीवन पर बनी 'संजू' की जो झलकियां अब तक सामने आई हैं उन्हें देखकर अंदाज़ा तो मिल ही जाता है कि रणबीर ने बेइंतेहा मेहनत की है संकटों से ग्रस्त रहे इस अभिनेता के जीवन को प्रभावशाली तरीके से पर्दे पर उतारने के लिए। जिस तरह वो संजय दत्त के चेहरे-मोहरे और हाव-भाव के क़रीब गए हैं वो क़ाबिल-ए-तारीफ़ है। हालांकि आवाज़ को लेकर कहीं थोड़ी कसर रह गयी है, लेकिन संजय दत्त की जिस तरह की विराट छवि उनके प्रशंसकों के बीच रही है उसे देखते हुए रणबीर को थोड़ा लाभ तो दिया ही जाना चाहिए। कोई भी अभिनेता किसी ज़िंदा चरित्र को सौ फ़ीसदी हूबहू पर्दे पर प्रस्तुत नहीं कर सकता और रणबीर तो इस मामले में क़रीब-क़रीब नब्बे प्लस ही हैं।
सलमान ख़ान और अरशद वारसी जैसे संजय दत्त के क़रीबी रहे अभिनेताओं को लगता है कि कोई भी अन्य व्यक्ति संजय की शख्सियत के आस-पास भी नहीं पहुंच सकता है। सलमान ने तो यहां तक कह दिया कि फ़िल्म ‘संजू’ में प्रौढ़ संजय दत्त की भूमिका स्वयं संजय को ही निभानी चाहिए थी। ये सलमान का संजय के लिए प्रेम भरा अतिरेक हो सकता है और ये भी हो सकता है कि वो रणबीर को निजी तौर पर पसन्द नहीं करते, इसलिए ऐसा कुछ कह गए। प्रेमिका को छोड़ देने का मलाल हो या उसे किसी और पुरुष द्वारा छीन लिए जाने की टीस, दोनों ही मानव मन से कभी जाती ही नहीं। सलमान तो वैसे भी सुपरसितारा हैं जो अपने प्रशंसकों के दिमाग़ पर हावी रहते हैं।
संजय दत्त अपने करियर के ज़्यादातर हिस्से में औसत अभिनेता रहे हैं और गिनती की फिल्मों में ही वो अपनी प्रतिभा से न्याय कर पाए हैं। दूसरी ओर रणबीर अपार प्रतिभा के धनी हैं। जिस प्रकार अर्जुन की धनुर्विद्या पर कोई अंधा भी प्रश्न नहीं उठा सकता, उसी तरह रणबीर की अभिनय क्षमता पर भी कोई शख़्स सवाल नहीं उठा सकता। आप इसे संजय दत्त और निर्देशक राजू हिरानी की अच्छी किस्मत मान सकते हैं कि उनके पास इस किरदार को निभाने के लिए रणबीर के स्तर का अभिनेता उपलब्ध था। कोई शख़्स अपने असल किरदार को पर्दे पर भी पूरी विश्वसनियता से निभा पाया हो, ऐसा सुनने या देखने में शायद ही आया है। ज़रूरी नहीं कि एक ड्रग एडिक्ट फिल्मी पर्दे पर भी किसी ऐसी ही भूमिका को पूरे भरोसे के साथ निभा सके। नशे में डूबे रहना अलग बात है और नशे में डूबे रहने का अभिनय करना अलग बात।
हाल ही में रिलीज़ हुए 'संजू' के गीत 'मैं भी बढ़िया तू भी बढ़िया' में रणबीर की अदाओं को देखकर संजय के कई प्रशंसको ने उनकी आलोचना की। कुछ ने कहा कि रणबीर में वो माचो वाली बात नहीं है जो संजय में है। कुछ ने तो गाने में रणबीर के हाव भाव को औरतों जैसा बता दिया। संजय दत्त के प्रशंसक ये भूल जाते हैं कि अपने करियर के शुरुआती बरसों में जब संजय नशे की गिरफ़्त में थे तब वो ख़ुद भी बहुत ज़्यादा हिलते डुलते थे और इसकी तस्दीक उनकी उस दौर की फिल्मों को देखकर की जा सकती है। 'विधाता' या 'दो दिलों की दास्तान' जैसी फिल्मों में जो संजय सामने नज़र आता है उसे देखकर कोई नहीं कह सकता था कि ये लड़का आगे जाकर माचोइज़्म की पहचान बन जायेगा। उन तमाम फिल्मों में संजय दत्त में बतौर अभिनेता आत्मविश्वास की भारी कमी नज़र आती है।
एक असाधारण और बेहद नाटकीय जीवन जीने वाले, लेकिन औसत स्तर के अभिनेता को पर्दे पर निभाने के लिए रणबीर ने कमाल की मेहनत की है। कलाकारों का जीवन भी उन्हें दिलचस्प मोड़ पर ला खड़ा करता है। रणबीर के दादा महान राजकपूर और संजय की मरहूम मां नरगिस के बीच प्रेम प्रसंग था और ये रिश्ता इतना गहरा था कि राजकपूर कभी नरगिस के प्रभाव से उबर नहीं पाए। स्कूली दिनों में अपनी फिल्म सितारा मां के लिए संजय ने बहुत कुछ ऐसा भी सुना होगा जो उनके ज़ेहन में गहरा धंस गया हो। आज नरगिस के बेटे के किरदार को राजकपूर का प्यारा पोता निभा रहा है और संजय दत्त ख़ुद उसकी तारीफ़ में कसीदे पढ़ रहे हैं। वाक़ई में जीवन से बड़ा कोई ड्रामा नहीं है।
बहरहाल रणबीर पर श्रेष्ठ अभिनय दिखाने का जुनून चढ़ा है और ‘संजू’ के बाद भी वो दो महान कलाकारों की बायोपिक फिल्में करना चाहते हैं। इनमें पहली फिल्म वो अपने दादा राजकपूर पर की ज़िंदगी पर बनाना चाहते हैं। दादा राजकपूर पर विश्वसनीय और सच के करीब लगने वाली फिल्म बनाने के लिए वो परिवार के बाकी लोगों से अनुमति लेना चाहते हैं ताकि सब-कुछ ईमानदारी से फिल्माया जा सके। दूसरी बायोपिक हरफ़नमौला किशोर कुमार की है जिस पर निर्देशक अनुराग बासु लंबे समय से फिल्म बनाना चाहते हैं। कहा जा रहा है कि ‘जग्गा जासूस’ जैसी नाकामी के बाद रणबीर दोबारा अनुराग के साथ नहीं आना चाहते। हालांकि उन्होंने हाल ही में कहा है कि वो किशोर कुमार पर बनने वाली बायोपिक का हिस्सा ज़रूर बनना चाहते हैं, लेकिन उनके पास डेट्स उपलब्ध नहीं हैं। फिल्म थोड़ा और वक़्त लेकर बनाई जाए तो वो निश्चित ही इसमें अभिनय करना चाहेंगे।
फिलहाल रणबीर कपूर नई फिल्म के लिए उम्मीदों से भरे हुए हैं और राजू हिरानी का पुराना रिकॉर्ड उन्हें सफलता की तसल्ली भी दे रहा होगा, लेकिन फिर भी मन के किसी कोने में एक डर तो होगा ही। ‘संजू’ की सफलता शायद बॉलीवुड के लिए एक और विषय खोल देगी, जहां हम मौजूदा दौर के सितारों को गुज़रे दौर के सितारों की ज़िंदगी को पर्दे पर निभाते देख पाएंगे। राज कपूर और किशोर कुमार ही क्यों, फिर तो गुरुदत्त, देव आनंद और दिलीप कुमार का जीवन भी सिल्वरस्क्रीन पर दोहराया जा सकेगा।

Comments

Unknown said…
Awesome deep analysis

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