सिनेमालोक : यशराज स्टूडियो संग 'चाणक्य' का आना
सिनेमालोक
-अजय ब्रह्मात्मज
तीन दिनों से यह खबर सोशल मीडिया और अख़बारों में
तैर रही है कि यशराज फिल्म्स कि एक फिल्म का निर्देशन डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी
करेंगे.इस फिल्म के नायक अक्षय कुमार होंगे. पहली खबर में कयास लगाया गया कि हो
सकता है कि ‘चाणक्य’ फिल्म हो और अक्षय कुमार उसमें चन्द्रगुप्त कि भूमिका निभा
रहे हों.यह कयास स्वाभाविक है क्योंकि डॉ. द्विवेदी कि पहली पहचान ‘चाणक्य’ से ही
बनी थी.१९९२ में आये इस धारावाहिक ने दूरदर्शन पर इतिहास रचा था. पहले बार विजुअल
मध्यम में सेट और कोस्ट्युम कैलेंडर आर्ट से बाहर निकला था और ऐतिहासिक
प्रामाणिकता नज़र आई थी.
डॉ. द्विवेदी ने बाद में और भी धारावाहिक
किये,फिर उन्होंने ‘पिंजर’ फिल्म का निर्देशन किया. उसके बाद काशीनाथ सिंह के
उपन्यास ‘कशी का अस्सी’ पर आधारित उनकी फिल्म ‘मोहल्ला अस्सी’ बनी,जो निर्माता कि
नादानी और फिर सीबीएफसी कि मेहरबानी से लम्बे समय तक अटकी रही.अभी फिल्म रिलीज हो
सकती है,लेकिन निर्माता चादर ताने सोये हुए हैं.बहरहाल,इस बीच डॉ. द्विवेदी ने
‘जेड प्लस’ नमक फिल्म कि और दूदर्शन के लिए ‘उपनिषद गंगा’ का निर्माण और निर्देशन
किया.भारतीय इतिहास और मिथक पर उनकी गहरी पकड़ हैं. वे चाहते हैं कि भारत कि इन
कहानियों को वर्तमान के दर्शकों के बीच लाया जाये,दुनिया को इसकी जानकारी दी जाये.
इस दरम्यान उन्होंने ५-६ बार इतिहास पर फिल्म बनाने कि कोशिशें कीं.हर बार किसी न
किसी वजह से उन्हें पीछे हटना पड़ा.लम्बे समय तक फिल्म स्टार और निर्माताओं को यही
लगता रहा कि देश के दर्शक ऐसे कहानियों के लिए तैयार नहीं हैं.
भला हो ‘बाहुबली’ का.यह फिल्म बनी और देश के हर
कोने में सराही गयी.फिल्म कि अद्वितीय कामयाबी ने निर्माताओं की आँखें खोल दी.उन्हें
लगा कि जब इतिहास कि काल्पनिक कहानी चल सकती है तो सच्ची कहानियों में ज्यादा
ड्रामा और एक्शन है.कहानियों की खोज होने लगी. अभी हर बड़े प्रोडक्शन हाउस में
ऐतिहासिक फिल्मों की कहानियों की मांग है.भारतीय मिथक से भी नाटकीय कथाएं खोजी जा
रही हैं.ऐसी खबर है कि कारन जौहर,नीरज पाण्डेय और निखिल अडवाणी कि टीम इतिहास और
मिथक खंगाल रही है.सभी हड़बड़ी में हैं.फिल्म इंडस्ट्री अपनी भेडचाल के लिए मशहूर
है.उन्हें ट्रेंड और चलन में ही कामयाबी नज़र आती है.यूँ यह अच्छी बात है.हॉलीवुड
जिस आक्रामक और रणनीतिक तरीके से भारतीय दर्शकों को अपनी तरफ खींच रहा है,उसके
मुकाबले के लिए भारतीय सिनेमा को भी बड़ा और विशाल होना होगा.वर्तमान और भविष्य कि
कहानियों में ऐसी काल्पनिक उड़ान वीएफएक्स के माध्यम से भी संभव नहीं है.
फ़िलहाल खबर है कि यशराज फिल्म्स और डॉ.
चंद्रप्रकाश द्विवेदी मिल कर ‘पृथ्वीराज चौहान’
को परदे पर ले आयेंगे.शीर्षक भूमिका को जीवंत करने के लिए योग्य अक्षय कुमार का
चुनाव किया किया गया है.अभी इस बात कि ख़ुशी है कि अपनी-अपनी फिल्ड के देश के दो
श्रेष्ठ और माहिर साथ आ रहे हैं.डॉ. द्विवेदी के पास इतिहास की समझ है.वे उन्हें
आज के सन्दर्भ में पेश कर सकते हैं.यशराज फिल्म्स ऐसी फिल्मों के लिए आवश्यक
संसाधन ओर प्रतिभाएं मुहैया करवा सकता है.ऐसा होने पर ही अपेक्षित कामयाबी मिल
सकती है.बड़ी फ़िल्में तो बनती ही रहती हैं,अब वक़्त आ गया है कि बहुत बड़ी फ़िल्में
बनें.हम इंटरनेशनल स्तर की फ़िल्में नयी तकनीक और अपने इतिहास के संयोग से क्रिएट
करें.
बस एक ही ख्याल रखना होगा कि इतिहास प्रेम में हम
कहीं अतीत राग में न डूब जाएँ.अभी इस बात का खतरा बढ़ गया है.हिंदी फिल्मों में
राष्ट्रवाद का नवाचार चल रहा है.फिल्म के किरदार जबरदस्ती राष्ट्रवादी हो रहे
हैं.संवादों में देशभक्ति का जबरन उच्चार हो रहा है.सबसे अधिक राष्ट्रवादी होने कि
होड़ में फिल्मों का नुकसान होगा.हर ट्रेंड समय के साथ ऊबाऊ हो जाता है.दर्शकों कि
रूचि खत्म हो जाती है.अभी दर्शक और समाज तैयार हैं तो फिल्म निर्माताओं को इसका
उचित उपयोग करना चाहिए.
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