सिनेमालोक : 2018 की पहली छमाही और फ़िल्में
सिनेमालोक
2018 की पहली छमाही
-अजय ब्रह्मात्मज
इस छमाही की आखिरी फिल्म ‘संजू' 29 जून को रिलीज होगी.
राजकुमार हिरानी निर्देशित ‘संजू' संजय दत्त के जीवन पर आधारित फिल्म हिया,जिसमें रणबीर कपूर उनकी भूमिका निभा रहा
है.संजय दत्त की विवादित ज़िन्दगी और सफल फ़िल्मकार राजकुमार हिरानी की उसे परदे पर
उतरने की कोशिश के प्रति उत्सुक हैं. मन जा रहा है कि यह फिल्म दर्शकों की सराहना
के साथ अच्छी कमाई भी बटोरेगी. 2018 की पहली छमाही फिल्मों के कारोबार के हिसाब से अच्छी रही है.बॉक्स
ऑफिस की खनक से इंडस्ट्री में मुस्कराहट लौटी है.इसी महीने ‘रेस-3’ के कारोबार ने कुल
आमदनी बढाई है.’संजू' से कुल राशी और बढ़ेगी.
पहली छमाही के छः महीनों में छह फिल्मों
ने 100 करोड़ से अधिक का कारोबार किया.इसकी शुरुआत जनवरी में ‘पद्मावत' से हुई.’पद्मावत' की रिलीज आसान नहीं
रही.कई राज्यों में पहले ही फिल्म प्रतिबंधित हो गयी थी.बाद में फिल्म देखने पर
कुछ भी विवादास्पद नहीं दिखा तो स्क्रीन बढे और उसी अनुपात में कमाई बढ़ी.फ़रवरी में
आई ‘सोनू के टीटू की स्वीटी' ने तो कमल ही कर दिया.अपेक्षाकृत छोटे
कलाकारों को लेकर बनी लव रंजन की इस फिल्म ने युवकों को अपनी और खींचा.इस फिल्म ने
कार्तिक आर्यन को नया स्टार बना दिया.मार्च के अंत में रिलीज हुई ‘बागी-2’ में एक्शन स्टार
टाइगर श्रॉफ ने दर्शकों का दिल जीता.इस फिल्म में मनोज बाजपेयी ने भी युवकों को
प्रभावित किया.इसी महीने के मध्य में आई अजय देवगन की राजकुमार गुप्ता निर्देशित ‘रेड' ने भी 100 करोड़ की कमाई कर लि
थी.अप्रैल का महिना खली रहा,लेकिन मई में आलिया भट्ट की ‘राज़ी' फिर से भीड़ जुटाने में सफल रही.’रेस-3' अभी चल ही रही है और
इस हफ्ते ‘संजू' भी आ जाएगी.
फिल्मों के विषय पर गौर करें तो दर्शक
विविधता पसंद कर रहे हैं.उन्हें एक तरफ ‘पद्मावत' पसंद है तो दूसरी तरफ वे ‘वीरे दी वेडिंग' भी देखने में नहीं
हिचकिचा रहे हैं.उन्हें राष्ट्रभाक्ति और देशप्रेम से लबरेज ‘पैडमैन’ और ‘परमाणु' अच्छी लगी तो ‘राज़ी’ में पाकिस्तान और भारत
के प्रति निर्देशक का संतुलित व्यवहार से गुरेज नहीं हुआ.सवेंदनशील प्रेम और भाव
की ‘अक्टूबर' को उन्होंने सराहा
तो ‘रेस-3' में सीटियां और तालियाँ बजायीं. मज़ेदार
तथ्य यह है कि ये फ़िल्में देश के किसी एक कोने तक सिमटी नहीं रहीं.पहले ट्रेड
पंडित टेरिटरी के हिसाब से विभिन्न विधाओं की फिल्मों के बिज़नस की भाविश्वनियाँ
किया करते थे.अभी दर्शकों का मिजाज बदल चूका है.हर इलाके के दर्शक हर तरह की
फ़िल्में देख रहे हैं.
ख़ुशी और मुस्कराहट की पहली छमाही में
हॉलीवुड की फिल्मों ने ख़ामोशी से सेंध मार दी है.पहले भी हॉलीवुड की फ़िल्में
भारतीय दर्शकों के बीच आती थीं,लेकिन उनका कारोबार सीमित रहता था. एक-दो ‘जुरासिक पार्क' या सुपर हीरो की
फ़िल्में अपवाद के रूप में खूब चलती थीं.अभी यह समीकरण बदल रहा है.हॉलीवुड की
फ़िल्में व्यवस्थित और रणनीतिक तरीके से भारतीय बाज़ार में पैठ बना रही हैं.होल्य्य्वूद
की बड़ी फ़िल्में हिंदीi,तमिल और तेलुगू में डब कर लि जाती हैं.मह्नगरों के मल्टीप्लेक्स में
उन्हें ज़ोरदार प्रचं के साथ रिलीज किया जाता है.देसी दर्शकों को लुभाने और
सिनेमाघरों में बुलाने का उन्होंने फार्मूला सिद्ध कर लिया है.वे इन फिल्मों की
डबिंग पोपुलर स्टार से करवा रहे हैं. फिल्म के प्रचार में उनके नाम का इस्तेमाल
करते हैं.यहाँ तक कि प्रीमियर और खास शो में फिल्म स्टारों को बुलाते हैं.नतीजा यह
होता है कि दीवाने दर्शक अपने फेवरिट स्टार के आकर्षण में उन फिल्मों के दर्शक बन
जाते हैं.इसके अलावा यह भी सच है कि अब अंग्रेजी फिल्मों के दर्शक बढे
हैं.इन्टरनेट और सोशल मीडिया के जरिये उन्हें हॉलीवुड फिल्मों की पूरी जानकारी
रहती है.
फ़िलहाल भारत में हॉलीवुड या विदेशों से
आयातित फिल्मों की संख्या पर पाबन्दी नहीं है.पहले छमाही की ही बात करें तो बॉक्स
ऑफिस के कुल कलेक्शन की 20% राशि हॉलीवुड की फ़िल्में ले गयी हैं.
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