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Showing posts from April, 2018

दरअसल : 725 पन्ने... 6 लुक... और संजय दत्त

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दरअसल: 725 पन्ने... 6 लुक... और संजय दत्त - अजय ब्रह्मात्मज राजकुमार हिरानी इस दौर के बेहतरीन और संवेदनशील फिल्म डायरेक्टर हैं। अभी तक उनकी फ़िल्में मास्स और क्लास में एक सामान पसंद की जाती रही हैं। दर्शकों के हर तबके को उनकी फिल्मों से कुछ न कुछ मिलता है। उनका भी मकसद रहता है कि दर्शकों को मनोरंजन के साथ कुछ सन्देश भी मिले। अभी तक उनकी फ़िल्में अभिजात जोशी की मदद से काल्पनिक चरित्रों पर लिखी जाती रही हैं। ऐसी फिल्मों में चरित्र निर्देशक के नियंत्रण में रहते हैं। वे उन्हें अपने हिसाब से चरित्रों को नयी परिस्थितियों में डाल कर सोचे हुए निष्कर्ष तक ले जा सकते हैं। हिरानी अपने किरदारों को दर्शकों के बीच प्रिय बनाने में सफल रहे हैं। पडोसी देश चीन के दर्शक भी उन्हें पसंद करने लगे हैं। आमिर खान के साथ हिरानी की फ़िल्में भी चीन में खूब चली हैं। इस बार वह अपनी सफलता की लकीर छोड़ कर एक नयी रह पर चले हैं , मुन्नाभाई सीरीज की तैयारियों के दौरान संजय दत्त से हो रही बातचीत में उन्हें उनकी ज़िन्दगी किसी फिल्म की कहानी के उपयुक्त लगी। संजय दत्त को हम सभी उनक...

फिल्म लॉन्ड्री : पोस्‍टर ही पहली झलक हैं फिल्‍म की

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फिल्म लॉन्ड्री : पोस्‍टर ही पहली झलक हैं फिल्‍म की -अजय ब्रह्मात्‍मज सोशल मीडिया के इस दौर में सारी सूचनाएं रियल टाइम(तत्‍क्षण)  में प्रसारित और ग्रहण की जा रही हैं। इस प्रभाव में फिल्‍म के प्रचार के स्‍वरूप में भी बदलाव आया है। फिल्‍मों के पोस्‍टर प्रचार के मूल साधन हैं। डिजिटल युग आ चुका है। प्रचार भी वर्चुअल स्‍पेस में उपयुक्‍त स्‍थान खोज रहा है। अभी यह ठोस रूप से निर्धारित नहीं हो सका है। संक्रांति के इस समय में संभावनाओं और तरीकों के ऊहापोह में ही नई प्रविधियां आकार ले रही हैं। किसी नई प्रविधि की चलन के प्रचलन बनने के पहले ही कुछ नया हो जा रहा है। पोस्‍टर को ही ‘फर्स्‍ट लुक’ का नाम दे दिया गया है। लोकप्रिय स्‍टार की महंगी फिल्‍म हो तो देश के प्रमुख अखबारों के साथ सोशल मीडिया पर ‘फर्स्‍ट लुक’ जारी किए जा रहे हैं। मझोली या छोटी फिल्‍म हो तो खर्च बचाने और पहुंच बढ़ाने के लिए धड़ल्‍ले से सोशल मीडिया का इस्‍तेमाल हो रहा है। हमदर्द,प्रशंसक और पत्रकार उन्‍हें शेयर करते हैं। उक्‍त फिल्‍म से संबंधित हैशटैग ट्रेंड होने लगता है। निर्माता खुश होता है कि उसकी फिल्‍म का ...

दरअसल : फालके अवार्ड से सम्मानित विनोद खन्ना

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दरअसल   ...  फालके अवार्ड से सम्मानित विनोद खन्ना - अजय ब्रह्मात्मज मनमोहन देसाई की फिल्म ' अमर अकबर एंथोनी ' की रिलीज के समय अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना अपनी लोकप्रियता के चरम पर थे। दोनों के प्रशंसक अपने प्रिय अभिनेताओं के समर्थन में सिनेमाघर में सिटी और तालियां बजाया करते थे। मुझे याद है दरभंगा के उमा सिनेमाघर में लगी इस फिल्म को देखने के लिए मारामारी थी। टिकट खिड़की पर एक-दूसरे पर चढ़ते और फांदते लोगों की भीड़ देख कर मन घबरा गया था।   मैं अपनी साइकिल मोड़ने ही वाला था कि शरद दिख गया। टिकट लहरा कर उसने पास बुलाया। चिरौरी करने पर वह एक टिकट देने के लिए राजी हो गया। दरअसल , वह पॉपुलर फिल्मों के एक्स्ट्रा टिकट खरीद कर ब्लैक कर कुछ कमाई कर लेता था। फिल्म शुरू होने पर हम एक-दूसरे के मुकाबले में बैठ गए। वह अमिताभ बच्चन का प्रशंसक था और मैं विनोद खन्ना का.... दोनों भिड़ गए।   फिल्म के एक सीन में अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना के बीच लड़ाई होती है।   वह अमिताभ बच्चन की जीत की घोषणा कर चुका था और मैं नहीं चाहता था कि विनोद खन्ना हारें। मनमोहन देसाई न...