सिनेमालोक : जोखिम से मिली सफलता शाहिद को
सिनेमालोक
जोखिम से मिली सफलता शाहिद को
-अजय ब्रह्मात्मज
संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावत’ ने 200
करोड़ के कलेक्शन का आंकड़ा पार कर लिया है। पिछले दिनों ट्वीटर पर मैंने अपने
टाइमलाइन पर फिल्म के तीनों कलाकारों(दीपिका पादुकोण,रणवीर सिंह और शाहिद कपूर)
और निर्देशक संजय लीला भंसाली का नाम लेकर पूछा कि कलेक्शन की इस कामयाबी का
श्रेय किसे मिलना चाहिए तो ज्यादा ने स्वाभाविक रूप से संजय लीला भंसाली का नाम
लिया। उसके बाद रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण के नाम आए। शाहिद कपूर का स्थान
सबसे नीचे रहा। हां,कुछ दोस्तों ने इन चारों नामों से बाहर जाकर करणी सेना का उल्लेख
किया। इससे पता चलता है कि ‘पद्मावत’ में शाहिद कपूर की फिल्म और फिल्म के असर
में गौण भूमिका है।
इस लिहाज से शाहिद कपूर ने सचमुच जोखिम का काम
किया है। हिंदी फिल्मों में कलाकार ऐसे जोखिम उठाते रहे हैं,जिनका तात्कालिक असर
नहीं दिखता। समय बीतने के साथ उनके फैसलों की महत्ता समझ में आती है। उसी के
अनुरूप उन्हें लाभ भी होता है। मुझे पूरा यकीन है कि शाहिद कपूर की फिल्मोग्राफी
में ‘पद्मावत’ का विेशेष स्थान रहेगा। जब भी उनकी फिल्मों का पुनरवालोकन होगा तो
उसमें ‘पद्मावत’ रखी जाएगी। हर कलाकार के कलाकार के करिअर में कुछ फिल्में ऐसी
होती हैं,जो उनका मान बढ़ाती हैं। इस फिल्म के लिए हां कहते समय संजय लीला भंसाली
ने उन्हें आगाह कर दिया था कि यह फिल्म का तीसरा किरदार है। शाहिद कपूर को अच्छी
तरह मालूम था कि यह किरदार ‘लेखक समर्थित’(ऑथर बैक्ड) नहीं हैं। खुद ही स्क्रिप्ट
में लिखी पंक्तियों को समझ कर अपनी मेधा और कल्पना से उसे पर्दे पर उतारना होगा। निर्देशक
की मदद रहती है,लेकिन उसका अधिक ध्यान प्रमुख किरदारों के संयोग और संघर्ष में
रहता है। इस फिल्म का देखते हुए स्पष्ट हो जाता है कि दो-चार दृश्यों को छोड़
दें तो ज्यादातर नाटकीय और निर्णायक दृश्य दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह के हिस्से
में थे।
शाहिद कपूर ने पिछलें दिनों इस भूमिका को निभाने
की प्रेरणा के संदर्भ में अमिताभ बच्चन और दिलीप कुमार को याद किया। गौर करें तो ‘शोले’
में अमिताभ बच्चन की सहायक भूमिका थी,लेकिन उस फिल्म ने उनके करिअर को खास दिशा
दी। अमजद खान की केंद्रीय भूमिका और संजीव कुमार,धर्मेन्द्र और हेमा मालिनी के
बावजूद अमिताभ बच्चन भी याद रहे। इसी प्रकार ‘पद्मावत’ में सहायक भूमिका में होने
के बावजूद शाहिद कपूर याद रहेंगे। इस फिल्म की शूटिंग के दौरान शाहिद कपूर अपने
परफारमेंस को लेकर चिंतित रहे। इसमें उनकी मदद दिलीप कुमार ने की।
शूटिंग के दौरान एक रात संजय लीला भंयाली ने
अचानक शूटिंग रोक दी। दीपिका पादुकोण के कॉस्ट्यूम को लेकर समस्या थी। इंडस्ट्री
में कलाकार और तकनीश्यिन जानते हैं कि बालों की एक लट या कॉस्ट्यूम के एक धागे को
लेकर भी वे घंटों किसी सीन में उलझे रह सकते हैं। उस रात यही हुआ। शूटिंग रोक दी
गई। बताया गया कि अब तीन घंटे की बाद ही कुछ होगा। यह रात बारह बजे के बाद की घटना
है। शाहिद कपूर अपने वैन में लौटे। उन्होंने अचेत अवस्था में ही लिीप कुमार की ‘मुगलेआजम’
लगा दी। पूरी फिल्म देखी और महसूस किया कि रावल रतनसेन और सलीम के किरदार में
समानता है। शाहिद कपूर के नजरिए से ‘मुगलेआजम’ में असल संघर्ष अकबर और अनारकली के
बीच है। सलीम को तो कई दृश्यों में संवाद भी नहीं मिले हैं। दिलीप कुमार ने अपने
किरदार को अंडरप्ले किया है। शाहिद कपूर ने दिलीप कुमार से प्ररित हाकर ही रावल
रतनसेन को डिजाइन और प्रयोग किया। प्रयोग सफल रहा,क्योंकि आज ‘पद्मावत’ में उनके
अभिनय की तारीफ हो रही है।
शुरू से ही मालूम था कि वह एक हारा हुआ राजा
है,लेकिन उसे अपना शौर्य और पराक्रम बनाए रखना था। बगैर क्रोधित हुए ओजपूर्ण स्वर
में गर्वीलेभाव से अपनी बात कहनी थी। निश्ति ही एक अभिनेता के तौर पर शाहिद कपूर
इस जोखिम में सफल रहे।
originally published at
http://epaperlokmat.in/lokmatsamachar/main-editions/Nagpur%20Main%20/-1/11#Article/LOKSAM_NPLS_20180206_11_2/150px
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