रोजाना : एक उम्मीद है अनुपम खेर की नियुक्ति
रोजाना
उम्मीद है अनुपम खेर की नियुक्ति
-अजय ब्रह्मात्मज
पिछले
दिनों एफटीआईआई में अनुपम खेर की नियुक्ति हुई। उनकी इस नियुक्ति को लेकर
सोशल मीडिया पर लगातार प्रतिक्रियाएं और फब्तियां चल रही हैं। सीधे तौर पर
अधिकांश इसे भाजपा से उनकी नज़दीकी का परिणाम मान रहे हैं। यह स्वाभाविक
है। वर्तमान सरकार के आने के पहले से अनुपम खेर की राजनीतिक रुझान स्पष्ट
है। खासकर कश्मीरी पंडितों के मामले में उनके आक्रामक तेवर से हम परिचित
हैं। उन्होंने समय-समय पर इस मुद्दे को भिन्न फोरम में उठाया है। कश्मीरी
पंडितों के साथ ही उन्होंने दूसरे मुद्दों पर भी सरकार और भाजपा का समर्थन
किया है। उन्होंने सहिष्णुता विवाद के समय अवार्ड वापसी के विरोध में
फिल्मी हस्तियों का एक मोर्चा दिल्ली में निकाला था। उसके बाद से कहा जाने
लगा कि अनुपम खेर की इच्छा राज्य सभा की सदस्यता है।
इस
नियुक्ति को उनकी नज़दीकी माना जा सकता है। यह कहीं से गलत भी नहीं है।
कांग्रेस और दूसरी सरकारें भी अपने समर्थकों को मानद पदों पर नियुक्त करती
रही हैं। कांग्रेस राज में समाजवादी और वामपंथी सोच के कलाकार और
बुद्धिजीवी सत्ता का लाभ उठाते रहे हैं। तख्ता पलटा है तो तख्तियां बदल रही
हैं। अब उन पर नए नाम लिखे जा रहे हैं। सरकार की सोच के मुताबिक नीतियां
बदली जा रही हैं। नए फैसले लिए जा रहे हैं। कुछ सालों के बाद पता चलेगा कि
परिणाम क्या हुआ? तब तक विरोधियों और आलोचकों को सब्र से काम लेना चाहिए।
दूसरी सोच से प्रेरित सारे कामों को नकारना उचित नहीं है।
एफटीआईआई
में अनुपम खेर की नियुक्ति स्वागतयोग्य कदम है। सारांश से रांची डायरीज तक
कि सैकड़ों फिल्मों के लंबे सफर में हम अनुपम खेर की प्रतिभा के साक्षी रहे
हैं। उनके अभिनय क्षमता के बारे इन दो राय नहीं हो सकती। याद करें तो
गजेंद्र चौहान की नियुक्ति को अनुपम खेर ने गलत कहा था और स्पष्ट शब्दों
में ताकीद की थी के गजेंद्र चौहान किसी भी तरह इस पद के योग्य नहीं है। इस
लिहाज से उनकी नियुक्ति सर्वथा उचित है।अपने अनुभव और संपर्क से वे
एफटीआईआई में नई रवानी ला सकते हैं।सरकारी सहयोग से चल रहे इस संस्थान में
देश के सुदूर कोने से प्रतिभाएं आती हैं। उन्हें अपनी प्रतिभा निखारने के
मौके मिलता है। अनुपम खेस से गुजारिश रहेगी कि वे एफटीआईआई की सैटेलाइट
गतिविधियां आरम्भ करें। फिल्मी हस्तियों के सहयोग से देश भर में फिल्मों से
संबंधित स्क्रिप्ट और तकनीकी वर्कशॉप हों। अनुपम खेर एक बड़ी उम्मीद हैं।
ऐसी संस्थाओं में अनुपम जैसे व्यक्तियों और महानुभावों की दरकार है।
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