रोज़ाना : जितनी बची है,बचा लो विरासत
रोज़ाना
जितनी बची है,बचा लो विरासत
-अजय ब्रह्मात्मज
पिछले दिनों राज कपूर निर्मित आरके स्टूडियो में भीषण
आग लगी। अभी तक कोई ठोस और आधिकारिक विवरण नहीं आया है कि इस आग में क्या-क्या
स्वाहा हो गया? स्वयं ऋषि कपूर ने जो ट्वीट
किया,उससे यही लगता है कि राज कपूर की फिल्मों से जुड़ी यादें आग की चपेट में आ
गईं। उन्होंने ट्वीट किया था कि स्टूडियो तो फिर से बन जाएगा,लेकिन आरके फिल्म्स
की फिल्मों से जुड़ी स्मृतियों और कॉस्ट्यूम की क्षति पूरी नहीं की जा सकती।
ऋषि कपूर बिल्कुल ने सही लिखा। कमी यही है कि कपूर परिवार के वारिसों ने स्मृतियों
के रख-रखाव का पुख्ता इंतजाम नहीं किया था। एक कमरे में सारे कॉस्ट्यूम
आलमारियों में यों ठूंस कर रखे गए थे,ज्यों किसभ् कस्बे के ड्राय क्लिनर्स की
दुकान हो। हैंगर पर लदे हैंगर और उनसे लटकते कॉस्ट्यूम। पूछने पर तब के ज्म्म्ेिदार
व्यक्ति ने कहा था कि कहां रखें? जगह भी तो होनी चाहिए।
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री अपनी विरासत के प्रति शुरू से
लापरवाह रही है। निर्माता और अभिनेता भी अपनी फिल्मों के दस्तावेज सहेजने में
रुचि नहीं रखते। फिल्म निर्माता सक्रिय हो या निष्क्रिय...उनके प्रोडक्शन हाउस
में कोई ऐसा विभाग और जिम्मेदार व्यक्ति नहीं होता जो अपनी ही फिल्में और उनसे
संबंधित सामग्रियां को संभाल कर रखे। अधिकांश निर्माताओं को यह भी पता नहीं है कि
देश में राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार(एनएफएआई) जैसी एक सरकारी संस्था है,जो फिल्म
दस्तावेजों के संरक्षण और रख-रखाव का कार्य करती है। अब तो कुछ निजी संग्रहकर्ता
भी आ गए हैं। ऐसे व्यक्ति और संगठन फिल्मी सामग्रियों की खरीद-बिक्री नहीं
करतीं। उनका संरक्षण करती हैं।
आरके स्टूडियो में लगी आग को खतरे की घंटी के रूप में
लेना चाहिए। राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार के अधिकारी और संबंधित मंत्रालय इस
संबंध में अभियान चलाए। सभी को बताने-समणने की जरूरत है कि फिल्मी सामग्रिया और
यादें हमारी बहुमूल्य थाती हैं,जिन पर केवल उस प्रोडक्शन हाउस या परिवार का
अधिकार नहीं है। उन्हें सामूहिक विरासत और राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा मिलना
चाहिए। अभी सब कुछ नष्ट नहीं हुआ है। अभी कुछ पुराने स्टूडियो हैं और कुछ पुराने
प्रोडक्शन हाउस के जर्जर दफ्तर...हमें वहां बची विरासत को बचाने के प्रयास में लग
जाना चाहिए। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय व्यक्तियों के बीच जागरूकता लाने
की भी जरूरत है। वे सचेत रहेंगे तो किसी दुर्घटना और आपदा की स्थिति में भी
बहुमूल्य सामग्रियों का संरक्षण किया जा सकेगा।
फिलहाल आरके स्टूडियो में लगी आग में नष्ट हुई
साग्रियों का ब्योरा आए तो नुकसान की वास्तविकता पता चले। फिल्म इंडस्ट्री को
लगे जागें और विरासत के प्रति लापरवाही खत्म करें।
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