रोजाना : ’83 की जीतं पर बन रही फिल्‍म



रोजाना
83 की जीतं पर बन रही फिल्‍म
-अजय ब्रह्मात्‍मज
याद नहीं कब कोई इतना रोचक इवेंट हुआ था। मुंबई में कल कबीर खान निर्देशित 83 की घोषणा के इवेंट में क्रिकेटरों की मौजूदगी ने समां बांध दिया। इस मौके पर उनकी यादों और बेलाग उद्गारों ने हंसी की लहरों से माहौल को तरंगायित रखा। सभी के पास 1983 के वर्ल्‍ड कप के निजी किस्‍से थे। उन किस्‍सों में खिलाढि़यों की मनोदशा,खिलंदड़पन और छोटी घटनाओं के हसीन लमहों की बातें थीं। सभी ने बेहिचक कुछ-कुछ सुनाया। पता चला कि अनुशासित खेल के आगे-पीछे उच्‍छृंखलताएं भी होती हैं। तब न तो क्रिकेट में भारत की शान थी,न खिलाढि़यों का नाम था और न ही आज की जैसी पापाराजी मीडिया थी। खिलाडि़यों ने हंसी-मजाक में ही जितना बताया,उससे लगा कि आज के खिलाड़ी ज्‍यादा तेज निगाहों के बीच रहते हैं। उनकी छोटी सी हरकत भी बड़ा समाचार बन जाती है।
सभी जानते हैं कि 83 की ऐतिहासिक जीत ने भारत में क्रिकेट का माहौल बदल दिया। क्रिकेट के इतिहास और क्रिकेट खिलाडि़यों के जीवन का यह निर्णायक टर्निंग पाइंट रहा। सन् 2000 के 17 साल पहले और 17 साल बाद के सालों को जोड़कर देखें तो इन 34 सालों में भी 83 की जीत की खुशी कम नहीं हुई है। हालांकि उसके बाद भारत ने और भी वर्ल्‍ड कप जीते। फायनल अधिक रोमांचक हुए,लेकिन 1983 की जीत का अलग महत्‍व है और रहेगा। किसी का बचपन तो किसी की जवानी,किसी के लिए महज क्रिकेट तो किसी के लिए कहानी...1983 में वर्ल्‍ड कप के साथ कपिल देव की गर्व से मुस्‍कराती तस्‍वीर हर क्रिकेटप्रेमी के मन में खुश और उम्‍मीद का संचार करती है। कबीर खान इसी खुशी और उम्‍मीद को कैमरे में कैद करने जा रहे हैं। वे 1983 के वर्ल्‍ड कप की जीत की तैयारी,मुश्किलों और विजय की कहानी उन खिलाडि़यों के जरिए जाहिर करेंगे। इसमें सिर्फ मैदान,पिच और क्रिकेट ही नहीं होगा। इस फिल्‍म में उन खिलाडि़यों की जिंदगी भी होगी।
भारतीय समाज में सिनेमा और क्रिकेट की लोकप्रियता से सभी वाकिफ हैं। 83 में दोनों का मिलन होगा। अभी नहीं मालूम कि कबीर खना क्‍या शिल्‍प अपनाएंगे? फिलहाल कपिल देव की कप्‍तानी भूमिका के लिए रणवीर सिंह को चुना गया है। मोहिंदर अमरनाथ,सुनील गावस्‍कर,कीर्ति आजाद,यशपाल शर्मा,श्रीकांत,रोजर बिन्‍नी,बलविंदर सिंह संधू,संदीप पाटिज,सईद किरमानी,मदन लाल,र‍वि शास्‍त्री,दिलीप वेंगसरकर,सुनील वालसन और मैनेजर मान सिंह के लिए उपयुक्‍त कलाकारों का चुनाव होना है। कास्टिंग डायरेक्‍टर मुकेश छाबड़ा के लिए यह सच्‍ची बड़ी चुनौती होगी।
हिंदी फिल्‍म इंडस्‍ट्री में बॉयोपिक और पीरियड फिल्‍मों के लिए खेल-खिनाड़ी की फिल्‍में मुफीद मानी जा रही हैं। उन पर विवाद की संभावनाएं कम होती है। साथ ही उनकी लोकप्रियता और पसंदगी में पार्टी-पॉलिटिक्‍स आड़े नहीं आती। अभी की घोर निराशा के दौर में आम दर्शकों के लिए 83 की जीत पर बन रही फिल्‍म सामूहिक खुशी होगी। वे सभी आनंदित होंगे।

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