गूगल बता रहा है गंभीर है समस्या - अक्षय कुमार
स्वच्छता अभियान की पृष्ठभूमि में एक प्रेहम कथा
-अजय ब्रह्मात्मज
अक्षय कुमार की टॉयलेट एक प्रेम कथा रिलीज हो रही है।
हाल ही में इस फिल्म के पांच टीजर रिलीज किए गए,जिनसे फिल्म का फील मिल रहा है।
यह एहसास बढ़ रही है कि अक्ष्य कुमार की यह फिल्म मनोरंजक लव स्टोरी होने के
साथ ही एक जरूरी संदेश भी देगी। संदेश है स्वच्छता का,संडास का...हम सभी की
दैनिक नित्य क्रियाओं में सबसे महत्वपूर्ण और आवश्यक शौचालय की उचित चर्चा नहीं
होती। अक्षय कुमार की इस फिल्म ने शौचालय की जरूरत और अभियान की तरफ सभी का ध्यान
खींचा है। रिलीज से पहले अक्षय कुमार इस फिल्म के प्रचार के लिए सभी प्लेटफार्म
का इस्तेमाल कर रहे हैं। उनसे यह बातचीत फिल्मसिटी से जुहू स्थित उनके आवास की
यात्रा के दौरान हुई।
-देश में अभी स्वच्छता अभियान चल रहा है। आप की फिल्म
‘टॉयलेट एक प्रेम कथा’ का
विषय भी स्वच्छता से जुड़ा है। क्या उस अभियान और इस फिल्म में कोई संबंध है?
0 स्वच्छता,क्लीनलीनेस,टॉयलेट...या संडास कह लें।
कुछ भी कहें और करें...मकसद एक ही है कि भारत को स्वच्छ करना है। अभी वह सबसे
महत्वपूर्ण मुहिम है। आम धारणा है कि यह गांवों की समस्या है। वहां शौचालय नहीं
हैं। यह शहरों की भी उतनी ही बड़ी समस्या है। महानगरों में भी खुले में शौच होता
है। रेल की पटरियों,पाईप के ऊपर-नीचे,समुद्र के किनारे आप का लोग मिल जाएंगे।
हां,कुछ लोगों की शौचालय बनाने की हैसियत नहीं होती। हमारी सरकार इस दिशा में बहुत
कुछ कर रही है। हमारी फिल्म का विषय उन लोगों से संबंधित है,जिनकी नियत नहीं है।
वे शौचालय नहीं बनाना चाहते। वे खुले में शौच की वकालत भी करते हैं।खुले में शौच
की गंदगी और बीमारी के चपेट में सभी आते हैं1 शहरों में तो बीमारी और भी तेजी से
फैलती है।
-ऐसे गंभीर विषय पर फिल्म बनाना सचमुच चुनौती रही
होगी और आप का इससे जुड़ना भी रोचक है...
0मैंने इस विषय के बारे में सुन रखा था। फिल्म की
कहानी के बारे में जानने के बाद मुद्ददे के विस्तार में गया तो और भी जानकारियां
मिलीं। देश की 54 प्रतिशत आबादी के पास शौचालय नहीं है। हर पांच मिनट के बाद एक
बच्चे की मौत इसी वजह से होती है। खतरनाक स्थिति है। गूगल सर्च में कई अच्छी
बातों में हम दुलनया में आगे और ऊपर हैं,लेकिन शर्म की बात है कि खुले शौच में भी
हम बहुत ऊपर है। हमें जितनी जल्दी हो खुले में शौच की आदत और मजबूरी को खत्म
करना चाहिए। इस फिल्म से जुड़ने की वजह यही मंशा है।
-कहीं न कहीं यह लगता है कि शौचालय सिर्फ गरीबी से
जुड़ा मसला नहीं है। इसके प्रति हमारी लापरवाही खास मानसिकता की वजह से है....
0बिल्कुल। वे गलतफहमी और पुरानी सोच में जकड़े हुए
हैं। मैं पूछता हूं,जो यह तर्क देते हैं कि खाना बनाने और खाने की जगह पर टॉयलेट
नहीं बनवाएंगे। वे फिर खाना उगाने की जगह पर शौच के लिए कैसे राजी हो जाते हैं?
- इस मुद्दे को अपनी फिल्म में कैसे पिरोया है?
0 शौचालय फिल्म के बैकग्राउंड में है। फोर ग्राउंड
में लवस्टोरी है। एक सीधी सी बात कहता हूं कि शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज के लिए
ताजमहल बनवा दिया। क्या हम अपनी बीवियों के लिए संडास नहीं बनवा सकते। अगर अपने
प्यार के लिए यह भी नहीं कर सकते तो लानत है। शौचालय न होने से घर की औरतें कितनी
मुसीबतें झेलती हैं। उन्हें सूरज उगने से पहले और सूरज डूबने के बाद खेतों की तरफ
जाना पड़ता है। दिन भर वे खुद को रोक कर पेट में बीमारियों को जन्म दे रही होती
हैं। परिवार की औरतों की समस्या पर ध्यान दें। एक ओर घूघट की बात करते हैं और
दूसरी ओर उन्हें साड़ी उठा कर खुले में बैठने को मजबूर करते हैं। मर्द तो कहीं भी
खड़े हो जाते हैं। फिल्म की कहानी हकीकत है। मैं खुद ऐसे 8-10 व्यक्तियों और
परिवारों को जानता हूं।
-मैंने सुना है कि पहले यह छोटी फिल्म थी। आप के
जुड़ने के बाद यह बड़ी और चर्चित हो गई है?
0 आप को पता है साढ़ चार साल यह स्क्रिप्ट फिल्म
इंडस्ट्री में घूती रही। किसी स्टार ने हां नहीं कहा। मुझे पता चला तो नीरज
पांडेय से रिक्वेस्ट कर मैंने यह फिल्म ली। इसे श्रीनारायण सिंह डायरेक्ट कर
रहे हैं। मैंने अभी तक 20-21 नए डायरेक्टरों के साथ काम किया है।
-नए डायरेक्टर के साथ केमेस्ट्री कैसे बनती है? आप की कोई मांग रहती है?
0फिल्म के लिए हां कहते ही रिश्ता बनने लगता है।
कहानी सुनाने के लिए उन्हें सुबह चार बजे बुला लेता हूं तो वे सिर पीट कर आते
हैं। फिर हम दोनों ब्लेंड करना शुरू करते हैं। एक-दूसरे के हिसाब से ढलते हैं। नए
डायरेक्टर कुछ कर दिखाना चाहते है। उनकी इस कोशिश में मुझे अच्छी फिल्म मिल
जाती है। मैं डायरेक्टर के विजन को ही फॉलो करता हूं।
-फिल्म के प्रमोशन में कितनी रुचि लेते हैं? क्या प्रमोशनल इवेंट से दर्शक बनते हैं?
0हां,अवेयरनेस बढ़ती है। दर्शकों को पता चलता है।फिल्म
के प्रमोशन के लिए सभी जरूरी इवेंट में जाता हूं। अगर मैं शो या इवेंट में जाता
हूं तो पूरी तरह से इंवॉल्व रहता हूं।
-अभी किसी ने आप की तुलना धर्मेन्द्र से की। उनकी नजर
में आप उनकी तरह ही अलग होकर भी कामयाब हैं और हर तरह की फिल्में कर रहे है...
0 वे मेरे आदर्श रहे हैं और हैं। आप ने किस का नाम ले
लिया और किस ने मेरी उनसे तुलना कर दी। मैं तो उनकी फिल्में देख कर बड़ा हुआ हूं।
डैडी से कहता था कि धर्मेन्द्र की फिल्म देखनी है। हमें एक्शन का बहुत शौक था।
डैडी उनकी फिल्में दिखाते थे। उनके साथ मेरी तुलना करना बड़ी बात है। अमैं उनका
फैन ही नहीं,फॉलोअर भी हूं।
-‘क्रैक’ क्यों बंद हो गई। कहते हैं नीरज पांडेय के साथ अब आप नहीं
हैं?
0 अभी लनंदन में हम दोनों साथ ही बैठे। बातें की। वे
हमारे प्रेस कांफ्रेंस के लिए भी आए थे। मीडिया कुछ क्रैक नहीं कर पाती तो ऐसी स्टासेरी
चला देती है। सच इतना ही है कि अभी ‘क्रैक’ की कहानी क्रैक नहीं हो पाई
है।
-अपनी नायिका भूमि पेडणेकर के बारे में बताएं?
0सबसे पहले तो यह कहूंगा कि कि ऐसा रोल लेना ही बड़ी
बात है। उन्हें ,खुले शौच का एक सीन करना था। आप बताएं कि कौन सा एक्टर ऐसे सीन
के लिए तैयार होगी। उन्होंने क्राउड के बीच साड़ी उठाई और उंकड़ू बैठने का सीन
किया। एेसा करने में आत्मा ठेस पहुंचती है। उन्होंने बताया कि मैं तो एक्टिंग कर
रही थी तो इतनी शर्म आई। जो औरतें वास्त में खुले में शौच करती हैं,उन पर रोजाना
क्या गुजरती होगी? उन्हें कितनी ठेस लगती होगी। वह
पावरफुल एक्टर हैं।
-आप की फिल्म पर कोर्ट केस हुआ है कि कंटेंट में
समानता है...
0 मामला अभी कोर्ट में है। देखिए,कोर्ट क्या फैसला
सुनाती है। सही निर्णय आएगा। मुझे नहीं लगता कि ऐसा कुछ होगा।
-राकेश ओमप्रकाश भी इसी विषय पर ‘मेरे प्यारे प्रधानमंत्री’ लेकर
आ रहे हैं...
0 अच्छा है। और भी लोग आएं। हमारी तो लव स्टोरी
है,इसीलिए इसका टाइटिल ‘टॉयलेट एक प्रेम कथा’ है।
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