जिंदगी और साहित्‍य के अनुभव हैं मेरी फिल्‍मों में –इम्तियाज अली



जिंदगी और साहित्‍य के अनुभव हैं मेरी फिल्‍मों में इम्तियाज अली
-अजय ब्रह्मात्‍मज
इम्तियाज़ अली अपनी नई फिल्म के साथ प्रस्तुत हैं।इस बार वे शाहरुख खान और अनुष्का शर्मा के साथ 'जब हैरी मेट सेजल' लेकर आ रहे हैं। रोमांस और प्रेम की फिल्मों से 21वीं सदी में खास पहचान बना चुके इम्तियाज़ इस बार कुछ अलग अंदाज़ में अपनी खोज के साथ मौजूद हैं। हमारी सीधी बातचीत फ़िल्म के बारे में...
- बताएं 'जब हैरी मेट सेजल' क्या है?
0 यह सफर की कहानी है।कहानी बहुत सिंपल है। बहुत सीधी और थीं लाइन है। हैरी (शाह रुख खान) यूरोप में ट्रेवल गाइड है। वह पंजाब का मूल निवासी है,लेकिन पिछले कई सालों से यूरोप में है। वह टूर गाइड है। पिछले टूर की एक लड़की उनके पास वापस आती है। उसकी अंगूठी खे गई है। अंगूठी ढूंढने में वह हैरी की मदद चाहती है। हैरी हैरान भी होता है कि मैं कैसे मदद कर सकता हूं। वह कहती है कि आप ही ले गए थे। आप को मालूम है कि हम कहां-कहां गए थे। अंगूठी की खोज में दोनों की बाहरी और अंदरूनी जर्नी पर है यह फिल्‍म। वे खुद के बारे में क्‍या डिस्‍कवर करते हैं और इनका रिश्‍ता कहां से कहां तक पहुंचता है। यही कहानी है।
- आप की हर फिल्‍म में जर्नी होती है। वह अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। क्‍या खोज रहे हैं आप? कहां पहुंचना है?
0 हां,मुझे लगता है कि खोज तो है। मेरी फिल्‍मों में किरदार बहुत ट्रैवल करते हैं। ट्रैवल में उन्‍हें कुछ नई चीजें पता चलती हैं। कोई नई संभावना अपने अंदर नजर आती है। मेरी निजी जिंदगी में ऐसा ही होता है। मैं किसी एक खास चीज की तलाश में नही हूं1 कोई जवाब खोज रहा हूं। हां,ऐसा लगता है कि मैं भी कुछ खोज रहा हूं। किसी चीज के नजदीक पहुंचने की कोशिश कर रहा हूं। वह सफर और डिस्‍कवरी जारी है किरदारों के माध्‍यम से।
- रणबीर कपूर को छोड़ दें तो आप के एक्‍टर की उम्र बढ़ती जा रही है और उनका स्‍टारडम भी बढ़ता जा रहा है। क्‍या कारण हैं?
0 यह सवाल महत्‍वपूर्ण है। इस दौरान मेरी उम्र बढ़ी है और तर्जुबा बढ़ा है1 जिन कहानियों से उम्र की वजह से अपरिचित था,उनसे अभी वकफियत हुई। जब हैरी मेट सेजल में शाह रूख खान टीनएजर का रोल नहीं कर रहे हैं1 वे उस उम्र के हैं,जिसे मैं नजदीक से देख पा रहा हूं1 पहले मैं ऐसी कहानियां नहीं लिख सकता था।
- कुछ फिल्‍मकारों की प्रेमकहानियां में जिंदगी से अनुभूत प्रेम के साथ सिनेमा में विकसित प्रेम का भी प्रभाव रहता है। आप पर यह प्रभाव है क्‍या?
0 मैं ढेर सारी फिल्‍में देखता हूं और बहुत कम फिल्‍में बनाता हूं। मैं प्रेम की अलग-अलग फिल्‍में देखता हूं। फिल्‍मों से मिले प्रेम के अनुभव मेरी फिल्‍मों में साथ नहीं आते। फिल्‍मों के अनुभव कभी नहीं लाता। जिंदगी और साहित्‍य के अनुभव जरूर फिल्‍मों में रिफ्लेक्‍ट हुए हैं1 अर्नेस्‍ट हेमिंग्‍वे के व्‍यक्तित्‍व का कोई हिस्‍सा कभी मेरे किसी पात्र में दिख जाए। शेक्‍सपरयर की स्‍टोरीटेलिंग स्‍टाइल की झलक मिले1 ल्‍लव आज कल में यह असर है। हां,फिल्‍मों की ढेर सारी चीजें अपनी जिंदगी में करता पाता हूं1 फिल्‍मों में कभी नहीं लाता।
- एक फिल्‍मकार ने कहा कि आजकल के एक्‍टर इमोशन होल्‍ड नहीं कर पाते,इसलिए हम लंबे और गहरे सान नहीं लिखते। आप का अनुभव...
0 मैं असहमत हूं। मैं नहीं मानता कि आज के एक्‍टर उतने रोमांटिक या गहरे नहीं हैं। वे इमोश होल्‍ड कर सकते हैं। रोमांस का नकाब अभी हट चुका है। पहले बाहर की एक ताकत के बरक्‍स मोहब्‍बत आंकी जाती थी। अब दो प्रमियों के बीच कोई और दीवार नहीं होता। प्रेमी-प्रेमिका अपने अंदर की चीजों से ही जूझ रहे होते हैं। फिल्‍टर हट चुका है। आज के युवा ज्‍यादा महसूस करते हैं। नेचर ऑफ डिजायर नहीं बदला है। रोमांस में मिलावट कम हो गई है। आज इंतजार और अकेलापन ज्‍यादा है,इसलिए रोमांस गाढ़ा और जोशीला है। साथ रहने की इच्‍छा ज्‍यादा है।
-कलाकारों के बीच की समझदारी रोमांस के चित्रण में कितनी मदद करती है। और किन कलाकारों में यह जल्‍दी और सधन रूप में दिखा?
0 कलाकारों या किरदारों के बीच की केमिस्‍ट्री राइटिंग से उभरती है। एक्‍टर से नहीं आती है। रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण का उदाहरण लें। शाह रूख और अनुष्‍का की केमिस्‍ट्री का डिफरेंस उनके किरदारों की वजह से आएगा1 शाह रूख और अनुष्‍का की पर्सनैलिटी अलग है। उस वजह से उनकी केमिस्‍ट्री अच्‍छी लगती है। दीपिका और रणबीर की परस्‍पर समझ बहुत अच्‍छी है।
- उत्‍तर भारत के दर्शकों के लिए कोई संदेश ?
0 ओपन माइंड से यह फिल्‍म न देखें1 किसी पूर्वाग्रह के साथ नहीं आएंगे तो ज्‍यादा एंज्‍वॉय करेंगे। यह सिंपल फिल्‍म है।

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