दरअसल : खानत्रयी का आखिरी रोमांटिक हीरो
दरअसल....
खानत्रयी का आखिरी रोमांटिक हीरो
-अजय ब्रह्मात्मज
दोनों पैरों के बीच खास दूरी बना कर ऐंठते हुए वे जब
अपनी बांहों को फैला कर ऊपर की ओर उठाते हैं तो यों लगता है कि वे पूरी दुनिया को
उसमें समोने के लिए आतुर है। उनका यह रोमांटिक अंदाज ै।इतना पॉपुलर है कि कोई भी
निर्देशक इसे दोहराने से नहीं बचता। शाह रूख खान भी सहर्ष तैयार हो जाते हैं। अब
तो इवेंट और शो में भी उनसे फरमाईश होती है कि इस क्लासिक रोमांटिक अंदाज में वे
अपनी तस्वीर उतारने दें। गौर करेंगे इस पोज में वे दायीं तरफ देख रहे होते हैं और
कैमरा भी दायीं तरफ ही रहता हैं। उनके होंठो पर आकर्षक टेढ़ी मुस्कान रहती है। वे
खुली बांहों से सभी को निमंत्रण दे रहे होते हैं। अब तो उनकी मिमिक्री कर रहे
कलाकार भी उनके इस अंदाज से वाहवाही बटोर लेते हैं।
आज रिलीज हो रही ‘जब हैरी मेट सेजल’ में इम्तियाज अली ने अगर उनके इस अंदाज को दोहराया होगा तो
कोई जुर्म नहीं किया होगा। दर्शक तो मुग्ध ही होंगे। ‘जब हैरी मेट सेजल’ रोमांटिक फिल्म होने का
अहसास दे रही है। वैसे भी शाह रुख खान कह ही चुके हैं कि इम्तियाज अली नए जमाने के
यश चोपड़ा हैं। स्टार ने डायरेक्टर को सर्टिफिकेट दिया। और डायरेक्टर ने फिर से
स्टार को रोमांटिक किरदार दिया। अब देखना है कि इस किरदार को देख कर दर्शक कितने
खुश होंगे और प्रशंसक पागल... खानत्रयी(आमिर,शाह रुख और सलमान) में अब अकेले शाह
रुख खान ही रोमांटिक लीड कर रहे हैं। अपनी हीरोइनों के लिए रोमांटिक गाने गा रहे
हैं। ‘रईस’ जैसी
फिल्म में भी ‘जालिमा’ का सीक्वेंस फिट कर दिया। हालांकि उसकी वजह से फिल्म फिसल
गई। बहरहाल,’जब हैरी मेट सेजल’ में ऐसी फिसलन की संभावना नहीं है। इम्तियाज और शाह रूख
दोनों ही पूरे कंफीडेंट दिख रहे हैं।
आमिर खान ने सन् 2000 के बाद से ही अपनी राह बदल ली।
बीच की कुछ फिल्मों में वे रोमांस करते दिखे,लेकिन उन्हें प्योर रोमांटिक फिल्में
नहीं कहा जा सकता। आमिर खान ने अपनी सीमाओं को वक्त से पहचान नलया और समय रहते
दिशा बदल दी। अपनी अपारंपरिक फिल्मों से उन्होंने साबित किया कि दर्शकों की नब्ज
पर उनका हाथ है। उनकी पिछली फिल्में निरंतर कीर्तिमान स्थपित कर रही हैं। पिछली
फिल्म ‘दंगल’ की
कामयाबी ने तो नया मानदंड तय कर दिया। सलमान खान भी पहले की तरह रोमांटिक और
कॉमेडी फिल्में नहीं कर रहे हैं। कबीर खान के निदेशन में आई उनकी ‘बजरंबी भाईजान’ और ‘ट्यूबलाइट’ वे भी बदलने को तैयार हैं।
उनकी पारंपरिक फिल्मों में भी रोमांस का प्रतिशत लगातार कम होता जा रहा है। निकट
भविष्य में आ रही उनकी फिल्मों में रोमांस की उम्मीद नहीं दिखती। यों अप्रत्याशित
व्यवहार और पहल के लिए मशहूर सलमान खान के बारे में स्पष्ट रा नहीं बनाई जा
सकती। फिर भी सलमान खान अपने एक प्रतिद्वंद्वी शाह रूख खान की राह पर लौटते नहीं
दिखाई दे रहे।
सचमुच,शाह रूख खान खानत्रयी के आखिरी रोमांटिक हीरो रह
गए हैं। कहा तो जा रहा है कि वे अपनी रोमांटिक इमेज में कैद हो गए हैं। कुंदन शाह
की राय में शाह रूख खान दुखी और उदास किरदारों में अधिक जंचते,लेकिन ‘कभी हां,कभी ना’ की हद से वे निकल गए।
रोमांटिक हीरो बने। अब उन्हें जल्दी ही खुद को रीइन्वेंट करना चाहिए। वर्ना
उनकी गति पिछली सदी के अंतिम दशक के अमिताभ बच्चन जैसी हो सकती है। दर्शक उन्हें
रिजेक्ट कर सकते हैं। उनकी पिछली फिल्मों की कम कामयाबी संकेत दे रही है। फिलहाल
आमिर और सलमान से वे फिल्मों के बिजनेश के मामले में पिछड़ गए हैं। यह भी जाहिर
है कि इस से उनके स्टारडम में अधिक फर्क नहीं पड़ा है। फिर भी ‘जब हैरी मेट सेजल’ जरूरी चमत्कार उसे उन्हें
आमिर खान और सलमान खान के समकक्ष ला सकती है।
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